PATNA: पटना वेटनरी कॉलेज के जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर पिछले 10 दिनों से धरने पर बैठे हैं। बुधवार को धरनास्थल से हटाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। धरना पर बैठे छात्र-छात्राओं को हटाने की कोशिश की गयी। इस दौरान उन्हें जमीन पर घसीटा गया। लेकिन जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर डटे रहे। वेटनरी हॉस्पिटल कॉलेज परिसर में दस दिनों से धरना पर बैठे वेटनरी छात्रों ने एडीएम पर बदसलुकी का आरोप लगाया। धरनास्थल पर सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा सहित भारी संख्या में पुलिस की टीम पहुंची। छात्रों को धरनास्थल से हटाने की कोशिश की गयी।
छात्रों अपनी मांग को लेकर धरना पर बैठे हैं और अपनी मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। डॉक्टर जीतेन्द्र ने बताया कि इंटरर्नशीप के मानदेय और पीजी के फेलोसेप राशि को बढ़ाने के लिए ये धरना पर बैठे। इंटर्नशीप का मानदेय मात्र 5 हजार रुपया प्रतिमाह है और पीजी के फेलोसेप का मानदेय 1800 रुपया प्रतिमाह है एक दिन की राशि 60 रुपये पड़ता है इतने कम राशि में हमलोग 5 से 9 ड्यूटी करते हैं। ये कहां तक का न्याय है। 60 रुपया मजदूरी है इसलिए हड़ताल जरूरी है।
डॉ. जीतेन्द्र ने बताया कि छह महीने पहले भी हमलोगों ने स्ट्राइक किया था। लेकिन मंत्री मुकेश सहनी ने स्ट्राइक तुड़वा दिया था कहा गया था कि हम इस मामले को देखेंगे। 15 दिन में आपका काम करेंगे। उस समय हम सभी के साथ धोखा हुआ। पिछले दस दिनों से फिर हमलोग अपनी मांग को लेकर बैठ गये है। आज बहुत सारे डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार हुआ। एडीएम की मौजूदगी में पुलिस प्रशासन ने डॉक्टरों का कॉलर पकड़ा और छात्राओं के साथ अभद्र व्यवहार किया। डॉक्टरों का एपन फाड़ दिया गया।
विश्वविद्यालय प्रशासन के दवाब में हमलोगों को जबरन हटना चाहते है। इमरजेंसी सेवा में हमलोग बाधा तक नहीं पहुंचा रहे है। शांतिपूर्ण तरीके से हम प्रदर्शन कर रहे थे अब हमलोगों को यहां से भगाया जा रहा है। वेटनरी छात्रों को इस दौरान घसीटकर हटाया गया। वही अधिकारी का कहना है कि विवि प्रशासन ने अपने स्तर से कार्रवाई कर दी तब धरना क्यों दे रहे है। धरना का परमिशन नहीं दिया गया है। धरना देकर छात्र कॉलेज का कार्य बाधित कर रहे हैं। इनको कहा गया है कि आदेश लेकर गर्दनीबाग धरनास्थल पर जाकर आंदोलन कीजिए लेकिन यहां धरना पर बैठने की इजाजत नहीं है। छात्रों के सभी आरोपों को उन्होंने गलत बताया।