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‘ऑपरेशन सिंदूर’ फिल्म की घोषणा पर मचा बवाल: युद्धकाल में फिल्म पोस्टर से लोगों में नाराज़गी, निर्माता ने मांगी माफ़ी

ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर फिल्म बनाने की होड़ मची हुई है। तमाम फिल्म प्रोड्क्शन हाउस ने टाइटल रजिस्टर्ड कराने के लिए आवेदन दिया है। इन सबकों शिवसेना की सांसद प्रियंका बेशर्म गिद्ध कहकर संबोधित किया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 10 May 2025 02:50:02 PM IST

Operation Sindoor

ऑपरेशन सिंदूर - फ़ोटो google

OPERATION SINDOOR: सैन्य अभियान के बीच ऑपरेशन सिंदूर फिल्म की घोषणा से लोग भड़के हुए हैं। शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने जब 'बेशर्म गिद्ध' कहा तब फिल्म के निर्माता निक्की भगनानी ने खेद जताते हुए माफी मांगी। वही लोगों का कहना है कि देश की सेना युद्ध के हालात से जूझ रही है, तब एक फिल्म निर्माता ने इस पर ऑपरेशन सिंदूर फिल्म की घोषणा की है जो न केवल असंवेदनशीलता है बल्कि शहीदों और उनके परिवारों का अपमान भी है।


हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ किए गए एक सैन्य अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर देशभर में गर्व और उत्साह का माहौल है। इसी बीच फिल्म निर्माता निक्की भगनानी ने इसी नाम पर एक फिल्म की घोषणा कर दी, जिससे सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। लोगों ने इस कदम को असंवेदनशील और मुनाफाखोरी से प्रेरित बताया। विवाद बढ़ने पर निर्माता ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था।


फिल्म की घोषणा और पोस्टर से भड़की जनता

निक्की-विक्की भगनानी फिल्म्स और कंटेंट इंजीनियर द्वारा संयुक्त रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम की फिल्म बनाने की घोषणा की गई। साथ ही एक एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जनरेटेड पोस्टर भी सोशल मीडिया पर जारी किया गया, जिसमें "भारत माता की जय, ऑपरेशन सिंदूर" जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया था। हालांकि इस पोस्टर के सामने आते ही कई सोशल मीडिया यूजर्स भड़क उठे। उनका कहना था कि जब देश की सेना युद्ध के हालात से जूझ रही है, तब एक फिल्म की घोषणा करना न केवल असंवेदनशील है बल्कि शहीदों और उनके परिवारों का अपमान भी है।


एक यूजर ने नाराजगी जताते हुए लिखा, “शर्म करो यार, युद्ध छिड़ा हुआ है।” वहीं एक अन्य ने कहा, “कोई एक्टर इस बारे में बात नहीं कर रहा, लेकिन जैसे ही मुनाफा नजर आया, सब मूवी बनाने दौड़ पड़े।” नेताओं ने भी जताई नाराज़गी, शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने फिल्म निर्माता की फटकार लगा दी।


शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने फिल्म इंडस्ट्री पर निशाना साधते हुए कहा कि फिल्म निर्माता ऐसे संवेदनशील अवसरों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। उन्होंने एक पोस्ट साझा किया, जिसमें लिखा था कि कई प्रोडक्शन हाउस जिनमें जॉन अब्राहम और आदित्य धर जैसे बड़े नाम शामिल हैं जो 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम को टाइटल के रूप में रजिस्टर कराने की होड़ में लग गए हैं। अपने पोस्ट के कैप्शन में प्रियंका चतुर्वेदी ने फिल्म निर्माता को 'बेशर्म गिद्ध' कहकर संबोधित किया, जो संकट की घड़ी में संवेदनशीलता की बजाय अवसर खोज रहे हैं।


फटकार के बाद निर्माता निक्की भगनानी ने माफी मांगा

तेज होती आलोचनाओं के बीच निक्की भगनानी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक लंबा पोस्ट साझा कर माफी मांगी। उन्होंने लिखा: “कुछ समय पहले मैंने सोशल मीडिया पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम की फिल्म की घोषणा की थी, जो हमारी सेना के एक बहादुरी भरे मिशन से प्रेरित है। मेरा उद्देश्य कभी भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। अगर किसी को मेरी इस घोषणा से दुख या असहजता हुई हो, तो मैं दिल से माफी मांगता हूं।”


उन्होंने आगे यह भी स्पष्ट किया कि यह फिल्म न तो पैसा कमाने के लिए बनाई जा रही है और न ही किसी लोकप्रियता की होड़ में। यह एक प्रयास है उन वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। विवाद के पीछे बड़ा सवाल: क्या युद्ध को तुरंत कला में बदला जाना उचित है? इस पूरी घटना ने एक महत्वपूर्ण नैतिक बहस को जन्म दिया है — क्या देशभक्ति या सैन्य अभियानों से प्रेरित कहानियों को उस वक्त सिनेमाई रूप देना सही है, जब जमीनी स्तर पर हालात अभी भी संवेदनशील हों?


हालांकि भारतीय सिनेमा में सेना और युद्ध से जुड़ी कहानियों को अक्सर सराहा गया है, लेकिन इस बार मुद्दा समय और संवेदनशीलता को लेकर है। क्या ऐसे क्षणों में राष्ट्रवाद दिखाने का सबसे अच्छा तरीका फिल्म बनाना है, या फिर चुपचाप सम्मान प्रकट करना? 'ऑपरेशन सिंदूर' फिल्म की घोषणा एक ऐसे समय में की गई जब देश एक सैन्य संघर्ष से जूझ रहा है, जिससे यह कदम राष्ट्रवादी गौरव के बजाय असंवेदनशीलता का प्रतीक बन गया। निर्माता ने भले ही माफी मांग ली हो, लेकिन यह प्रकरण स्पष्ट करता है कि रचनात्मक स्वतंत्रता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है।