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जब शूटिंग के दौरान कुख्यात डाकू के चक्कर में फंस गईं थी Meena Kumari, चाकू से हाथ पर देना पड़ा था ऑटोग्राफ...

Meena Kumari: मध्य प्रदेश के शिवपुरी में ‘पाकीजा’ की शूटिंग के दौरान चंबल के डाकू अमृतलाल ने मीना कुमारी से चाकू से हाथ पर ऑटोग्राफ मांगा था, उस दिन फिल्म के पूरे क्र्यू की जान हलक में थी..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 07 Aug 2025 02:12:30 PM IST

Meena Kumari

मीना कुमारी - फ़ोटो Google

Meena Kumari: हिंदी सिनेमा की ‘ट्रेजेडी क्वीन’ मीना कुमारी से जुड़े वैसे तो एक से बढ़कर एक किस्से हैं मगर आज जो किस्सा हम आपको बताने जा रहे वह सबसे ख़ास है। बात तब की है जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी जंगल में ‘पाकीजा’ फिल्म की शूटिंग हो रही थी। 1960-70 के दशक में मीना कुमारी और उनके पति व फिल्म के निर्देशक कमाल अमरोही अपनी फिल्म यूनिट के साथ शिवपुरी के बीहड़ इलाके से गुजर रहे थे। यह क्षेत्र उस समय चंबल के खूंखार डाकुओं के लिए कुख्यात था। रात के समय उनकी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया और अचानक उस जगह चंबल का कुख्यात डाकू अमृतलाल अपने सशस्त्र साथियों के साथ पहुंच गया। शुरू में डाकुओं ने गाड़ी को लूटने की मंशा से ही घेरा था लेकिन जब उन्हें पता चला कि गाड़ी में मीना कुमारी हैं तो उनकी मंशा तुरंत बदल गई।


अमृतलाल मीना कुमारी का बड़ा प्रशंसक था,  उसने लूटपाट की योजना छोड़ दी और पूरी फिल्म यूनिट को अपने कैंप में ले गया। वहां डाकुओं ने मेहमाननवाजी में कोई कसर नहीं छोड़ी खाना, नाच-गाना और आतिथ्य का पूरा इंतजाम किया गया था। लेकिन कहानी तब रोमांचक हुई जब अमृतलाल ने मीना कुमारी के सामने एक अजीब शर्त रखी। वह चाहता था कि मीना कुमारी अपने ऑटोग्राफ को उसके हाथ पर चाकू से उकेर दें। यह सुनकर मीना और कमाल अमरोही तो स्तब्ध रह गए लेकिन हालात को देखते हुए मीना ने कांपते हाथों से डाकू की इस अनोखी मांग को पूरा किया। आखिर ऐसे में किया ही क्या जा सकता था भला। डाकुओं ने बाद में यूनिट की गाड़ी में पेट्रोल डलवाया और फिर उन्हें सुरक्षित दिल्ली जाने दिया।


यह किस्सा वरिष्ठ पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब में विस्तार से बताया है। ‘पाकीजा’ मीना कुमारी की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है, जिसे बनाने में 16 साल लगे थे। यह फिल्म 1972 में रिलीज हुई थी, लेकिन दुखद बात यह है कि रिलीज से कुछ समय पहले ही 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी का 38 साल की उम्र में निधन हो गया था। यह फिल्म उनके अभिनय और कमाल अमरोही के निर्देशन का उत्कृष्ट नमूना मानी जाती है।


इस घटना ने मीना कुमारी की लोकप्रियता को एक नया आयाम दे दिया दिया था। केवल आम दर्शक ही नहीं बल्कि चंबल के डाकू तक उनके दीवाने थे। अमृतलाल जैसे खूंखार डाकू का मीना के लिए यह जुनून उनकी स्टारडम और आकर्षण का ऐसा प्रतीक है जो फिर बाद में कभी किसी और अभिनेत्री के लिए देखने को नहीं मिला। इस किस्से को आज भी सिनेमा प्रेमी और मीना कुमारी के प्रशंसक बड़े ही रोमांच के साथ याद करते हैं।