गयाजी में किसान सम्मेलन का आयोजन, सूरज यादव ने किसानों की आवाज़ बनने का लिया संकल्प थाने के लॉकअप से फरार कैदियों को पुलिस ने दबोचा, चौकीदार और OD ऑफिसर पर सहरसा SP ने की कार्रवाई बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग: अनशन के दौरान RJD नेता की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में मिलने पहुंचे मनोज झा मुजफ्फरपुर: कॉलेज प्राचार्या पर महिला कर्मी की पिटाई और वसूली का आरोप, मानवाधिकार आयोग पहुंचा मामला पूर्णिया में NSD का नाट्य उत्सव: विद्या विहार स्कूल में 21-22 सितम्बर को विशेष प्रस्तुतियाँ बिहार में चुनावी सरगर्मी हुई तेज: शाह-नीतीश की मुलाकात के बाद JDU ने की बैठक, राहुल और तेजस्वी पर साधा निशाना अमित शाह का बेगूसराय दौरा, राहुल-लालू-तेजस्वी पर साधा जमकर निशाना पटना के गर्दनीबाग में 28.66 करोड़ से बनेगा आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, क्रिकेट की 15 पिचों समेत जिम-हॉल की सुविधा BIHAR NEWS : 'एक दिन एक घंटा एक साथ’, बिहार में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान शुरू, गंगा तटवर्ती जिलों में पहुँचेगा स्वच्छता संदेश कल BJP के किस नेता का नंबर..? प्रशांत किशोर चौथा किस्त जारी करेंगे, दावा- जो फड़फड़ा रहा वो धाराशाई होकर गिर जाएगा
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Mar 2025 01:02:47 PM IST
राकेश रोशन ऋतिक रोशन - फ़ोटो Google
Bollywood News : एक समय था जब अभिनेता राकेश रोशन के बालों को देख हर कोई सोचता था कि काश मेरे बाल भी ऐसे सुन्दर व घने होते. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि राकेश ने 1987 में अपने बालों की कुर्बानी दे दी और फिर हमेशा के लिए गंजे होकर रहने का फैसला कर लिया, आज हम आपको यही राज की बात बतलाने जा रहे हैं. जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
दरअसल, बात तब की है जब राकेश रोशन को लगा था कि अब बतौर निर्माता-निर्देशक उनका बॉलीवुड में टिक पाना बहुत ही मुश्किल है. अगर उनकी एक और फिल्म नहीं चलती है तो वो फिर कभी वापसी नहीं कर पाएंगे और हमेशा हमेशा के लिए गुमनामी के अँधेरे में खो जाएंगे, साल था 1987 और फिल्म का नाम था “खुदगर्ज” जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा, जितेन्द्र, गोविंदा जैसे कई कलाकार शामिल थे.
राकेश इस फिल्म के प्रदर्शन को लेकर इतने डरे हुए थे कि उन्होंने एक मन्नत मांगी. अगर यह फिल्म अच्छा करती है तो वह हमेशा के लिए अपने बालों की बलि दे देंगे, फिल्म चल पड़ी और अब वक्त था राकेश रोशन के अपने वादे पर खड़े उतरने का. कुछ समय के लिए तो उन्होंने सोचा कि रहने देते हैं, क्या ही हो जाएगा. मगर एक बेचैनी ने उन्हें घेर लिया था और वे सो तक नहीं पा रहे थे.
जिसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपनी बात पर खड़े उतरेंगे, अगले दिन उन्होंने नाई को बुलाया और एक घंटे तक उसे असमंजस में निहारते रहे. जिसके बाद फिर अंततः उन्होंने अपने बालों की कुर्बानी दे ही दी. एक तब का समय था और एक आज का समय है. फिर कभी राकेश रोशन को बालों के साथ नहीं देखा गया.