1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 28 Dec 2025 08:31:01 AM IST
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Bihar Politics : बिहार की राजनीति में इन दिनों अगर कोई मंत्री तीखे तेवर और कड़क अंदाज के लिए चर्चित हैं, तो वह हैं उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा। पीएम मोदी के खास कहे जाने वाले सिन्हा साहब अब सिर्फ तीखी टिप्पणियों के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार पर कटाक्ष और कड़ा वार करने के लिए सुर्खियों में हैं। फिलहाल वे राजस्व और भूमि सुधार विभाग संभाल रहे हैं, जिसे हमेशा से कमाऊं विभाग माना गया है। यही वह विभाग है जहां भ्रष्टाचार की दरिया बहती रही है। कर्मचारी, अमीन, सीओ और अधिकारी इस दरिया में गोते लगाते रहे।
लेकिन अब सिन्हा साहब का फरमान साफ है – ‘लटकाओ-भटकाओ-खींचो’ वाला फार्मूला बंद! उनका संदेश सीधा है – आप सेवक हैं, स्वामी बनने की कोशिश मत कीजिए। विभाग का स्वामी मंत्री है और मंत्री का स्वामी जनता। जनता परेशान होगी तो आपको भी भुगतना पड़ेगा।
सरकारी सेवा: मज़ा तभी जब जेब भरी हो?
इसके बाद अब सियासी लॉबी में यह चर्चा है कि सिन्हा के इस एक्शन के बाद इस विभाग के कर्मचारी और अधिकारी ऑफिस कैसे चलाएंगे? ऐसी चर्चा है कि यह अधिकारी वर्ग पहले रोज जेब भर कर घर जाते थे, अब उन्हें खाली हाथ और मुंह सुखाये लौटना पड़ रहा है। पटना और बड़े महानगरों के महंगे फ्लैट, फैशन, गहने, लक्ज़री गाड़ी सब इसी कमाई से चलती थी।
सिन्हा साहब इसे पाप कहते हैं। उनकी नजर में जनता की जेब से उठने वाला पैसा घूस है, और इस पर नकेल कसना उनका मिशन बन चुका है। जिले-ज़िले जाकर भूमि सुधार जनकल्याण संवाद शिविर आयोजित कर रहे हैं, जहां जनता की शिकायतों का ऑन-स्पॉट निपटारा हो रहा है। लोग खुश हैं क्योंकि वर्षों से लटकी समस्याओं का हल मिल रहा है।
बाबू और साहब परेशान, गिगी बांधते मंत्री!
अब सियासी लॉबी में यह चर्चा काफी अधिक है कि सिन्हा यह यह एक्शन अधिकारियों को यह सब रास नहीं आ रहा। सोचिए, जिसे पहले डांट कर भगा देते थे, उसी के सामने मंत्री जी अब खड़े होकर गीघी बांधवा रहे हैं। राजस्व सेवा संघ ने इसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया और पत्र में इसे ‘तमाशाई शासन शैली’ कहा। संघ का तर्क है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर काम का बोझ बहुत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रिश्वतखोरी को जायज ठहराया जाए। अधिकारी साफ-साफ कह रहे हैं – “अगर हमारी कमाई बंद होगी तो दूसरों की भी नहीं होनी चाहिए।” यानी अब जो पहले तिजोरी भरते थे, उन्हें खाली जेब और सिकुड़े चेहरे के साथ घर लौटना पड़ रहा है।
इतिहास भी समझना जरूरी है
इधर,सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि मंत्री साहब को यह भी जान लेना चाहिए कि पहले के भ्रष्ट अधिकारी मंत्री और मुख्यमंत्री तक को अपने इशारे पर नचाते थे। कांग्रेस काल में बिहार में एक अधिकारी ‘एक्साइज किंग’ कहे जाते थे, जिनकी राय के बिना मंत्री कोई कदम नहीं उठाते थे। लेकिन विजय सिन्हा इस इतिहास से अंजान नहीं हैं।
कौन जीतेगा इस जंग में – मंत्री या लॉबी?
अब देखने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचारियों की लॉबी और मंत्री की जंग में कौन बाजी मारेगा। अधिकारी अपनी पुरानी आदतों को जारी रखना चाहते हैं, लेकिन जनता की शिकायतों को सुनकर मंत्री साहब ने ठान लिया है कि जनता के मालिक होने का अधिकार उनकी सेवा में रहेगा।
विजय कुमार सिन्हा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जनता के अधिकार को प्राथमिकता दे रहे हैं और अधिकारियों के पुराने रिवाजों को चुनौती दे रहे हैं। पटना से लेकर जिले-ज़िले तक उनकी छवि तीखे, कड़क और जवाबदेह मंत्री की बन रही है। भ्रष्टाचारियों की लॉबी उन्हें चुनौती दे रही है, लेकिन मंत्री साहब अपनी राह पर अडिग हैं।
बिहार की गलियों में अब यही चर्चा है – जनता खुश है, भ्रष्ट अधिकारी खिसक रहे हैं, और मंत्री साहब की लड़ाई जनता के पक्ष में तेज़ होती जा रही है। देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार इस जंग में कौन बाजी मारता है – जनता का सेवक या घूसखोरों की ताकत।