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14-Apr-2025 03:07 PM
Delhi University viral principal : दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रत्युष वत्सला का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे क्लासरूम की दीवारों पर खुद गोबर लगाते हुए दिख रही हैं। यह वीडियो खुद प्रिंसिपल ने कॉलेज के शिक्षकों के एक ग्रुप में साझा किया था।
देशभर में जहां एक ओर स्मार्ट क्लासरूम, एसी और हाई-टेक सुविधाओं की बात की जा रही है, वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी के रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कॉलेज की प्रिंसिपल ने गर्मी से राहत के नाम पर क्लासरूम की दीवारों पर गाय के गोबर और मिट्टी का लेप चढ़वाया है। उनका दावा है कि यह एक पारंपरिक "प्राकृतिक कूलिंग तकनीक" है, जो शोध के तहत की गई है।इससे गर्मी में रहत भी मिलेगी |
आपको बता दे कि डॉ. प्रत्युष वत्सला ने स्पष्ट किया है कि क्लासरूम की दीवारों पर गोबर लगाने की यह पहल एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसे कॉलेज के एक फैकल्टी मेंबर की निगरानी में अंजाम दिया जा रहा है। यह अध्ययन फिलहाल शुरुआती चरण में है और इसका पूरा डेटा एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रयोग पोर्टा कैबिन्स में किया जा रहा है।उन्होंने खुद एक कमरे की दीवार पर गोबर लगाया और बताया कि मिट्टी और गोबर जैसे प्राकृतिक तत्वों को छूने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग बिना पूरी जानकारी के अफवाहें फैला रहे हैं।
इस फैसले से छात्र-छात्राएं हैरान हैं। कई छात्राओं ने बताया कि कॉलेज में पहले ही पंखों की भारी कमी है, जिससे गर्मियों में क्लास करना बेहद मुश्किल हो गया है। जब गर्मी की शिकायत की गई तो नए पंखों की व्यवस्था करने के बजाय दीवारों को गोबर और मिट्टी से पोत दिया गया। छात्राओं का कहना है कि यह न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि उनकी शिक्षा और गरिमा का अपमान भी है। प्रिंसिपल का यह प्रयोग सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोग दिल्ली सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठा रहे हैं। कॉलेज दिल्ली सरकार के अधीन आता है, जिसकी ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पास है।लोग प्रिंसिपल की खूब आलोचना भी कर रहे हैं |
जबकि विपक्ष के कई नेता ने इस मामले की ट्विट्ट कर आलोचना की है, वहीँ शिक्षा विशेषज्ञों ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि देश की राजधानी में इस तरह के पारंपरिक और अप्रमाणित उपायों का उपयोग करना आधुनिक शिक्षा प्रणाली का मज़ाक उड़ाने के बराबर है। जब देश डिजिटलीकरण और स्मार्ट लर्निंग की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में गोबर से दीवारें लीपना एक बेहद चिंताजनक और पिछड़ा हुआ सोच और कदम माना जा रहा है। छात्रों का कहना है कि उन्हें ठंडी कक्षाओं और बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है, न कि प्रयोगों की आड़ में उनकी पढ़ाई और सेहत के साथ खिलवाड़ करने की।लेकिन प्रिंसिपल का मानना बिल्कुल उलट है है |