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Bihar assembly elections : मां राबड़ी देवी को हरा चूका है BJP का यह धुरंधर, अब तेजस्वी से होगा दो-दो हाथ; राघोपुर में किसे चुनेगी जनता

राघोपुर सीट पर 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और सतीश कुमार यादव के बीच जोरदार टक्कर होने वाली है। यादव और मुस्लिम वोट बैंक इस बार निर्णायक साबित होगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Oct 2025 10:34:07 AM IST

Bihar assembly elections

Bihar assembly elections - फ़ोटो FILE PHOTO

Bihar assembly elections : बिहार की राजनीति में राघोपुर विधानसभा सीट हमेशा से ही महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। यह सीट लालू यादव परिवार की पारंपरिक सीट रही है और 1995 से अब तक (1998 और 2010 को छोड़कर) लगभग हमेशा लालू परिवार का कब्जा रहा है। 1995 में लालू प्रसाद यादव पहली बार जनता दल के टिकट पर यहां से विधायक बने थे। इसके बाद 1998 में राघोपुर से राजगीर यादव ने जीत दर्ज की, लेकिन 2000 में लालू यादव फिर से इस सीट से विजयी हुए। 2005 में दो बार हुए विधानसभा चुनावों में राबड़ी देवी ने यहां जीत हासिल की। वहीं, 2015 और 2020 में यह सीट तेजस्वी यादव के खाते में गई।


अब 2025 के विधानसभा चुनावों में राघोपुर की राजनीति एक बार फिर दिलचस्प मोड़ पर है। बिहार विधानसभा के पहले चरण के नामांकन के छठे दिन राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने परिवार की पारंपरिक सीट राघोपुर से नामांकन दाखिल कर दिया। उनका नामांकन इस सीट पर होने वाली सियासी टक्कर को और गर्मा गया है।


एनडीए में सीट बंटवारे के बाद राघोपुर सीट भाजपा के खाते में गई है। भाजपा ने इस सीट से सतीश कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। सतीश कुमार पर भाजपा का भरोसा इसलिए भी दिख रहा है क्योंकि उन्होंने पहले भी राघोपुर की राजनीति में बड़ा प्रभाव छोड़ा है। सतीश कुमार यादव ने 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को करीब 13 हजार वोटों से हराया था। उस समय वे जदयू प्रत्याशी थे। 2015 में राजद और जदयू के गठबंधन के दौरान सतीश कुमार यादव जेडीयू के टिकट पर मैदान में थे, लेकिन अब वे भाजपा में शामिल हो चुके हैं और तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।


राघोपुर में मतदाताओं की सामाजिक संरचना भी चुनाव को और रोचक बनाती है। यहां यादव और मुस्लिम समुदाय के मतदाता अधिक हैं, इसलिए दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए वोट बैंक पर नजर रखना बेहद जरूरी है। भाजपा ने सतीश कुमार यादव को इसलिए मैदान में उतारा है क्योंकि वे पहले भी लालू परिवार को इस सीट से मात दे चुके हैं। वहीं, तेजस्वी यादव को अपने पारिवारिक और राजनीतिक प्रभाव पर भरोसा है।


राजद और भाजपा के बीच होने वाली इस टक्कर को देखते हुए माना जा रहा है कि राघोपुर की लड़ाई इस बार एकतरफा नहीं होगी। एनडीए के एकजुट होने से भाजपा को फायदा मिलने की संभावना है, लेकिन तेजस्वी यादव के लिए भी यह सीट सुरक्षित मानी जाती रही है। पिछले चुनावों में तेजस्वी यादव ने राघोपुर से लगातार जीत दर्ज की है और उनका जनाधार भी मजबूत है।


इस बार चुनावी रणनीति और स्थानीय मुद्दों का असर निर्णायक साबित हो सकता है। सतीश कुमार यादव अपने पुराने अनुभव और जनता के बीच अपनी स्वीकार्यता का लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। वहीं, तेजस्वी यादव अपने पारिवारिक छवि और युवा नेताओं के रूप में अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल करेंगे।


राघोपुर में अब चुनावी माहौल तेज हो गया है। नामांकन के बाद से ही दोनों दलों के समर्थक और कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। भाजपा और राजद दोनों ही पार्टियों ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। स्थानीय स्तर पर प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क में कोई कमी नहीं होने दी जा रही है।


2025 के चुनाव में राघोपुर की यह सीट सिर्फ लालू परिवार की पारंपरिक सीट होने के कारण ही नहीं, बल्कि भाजपा और राजद के बीच निर्णायक मुकाबले के कारण भी सुर्खियों में है। अगर सतीश कुमार यादव तेजस्वी यादव को हराने में सफल हो जाते हैं, तो यह भाजपा के लिए बड़ी जीत होगी। वहीं, तेजस्वी यादव की जीत राजद की मजबूती और लालू परिवार की सियासी विरासत की पुष्टि करेगी।


राघोपुर विधानसभा सीट इस बार की बिहार विधानसभा चुनावों की सबसे चर्चा में रहने वाली सीटों में शामिल हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 में सतीश कुमार यादव और तेजस्वी यादव के बीच की इस राजनीतिक जंग का परिणाम क्या होता है।