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Mokama Election : पटना में लगा पोस्टर: “जेल का फाटक टूटेगा, मेरा शेर छूटेगा”, अनंत सिंह की धमाकेदार जीत, वीणा देवी 28 हजार से पराजित

मोकामा विधानसभा सीट पर बाहुबलियों की प्रतिष्ठा की लड़ाई में जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की है। जेल में रहते हुए भी उन्होंने राजद उम्मीदवार वीणा देवी को 28,206 वोटों के अंतर से हराया। समर्थकों में भारी उत्साह देखने को मिला, जबकि वीणा देव

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 11:32:25 AM IST

Mokama Election : पटना में लगा पोस्टर: “जेल का फाटक टूटेगा, मेरा शेर छूटेगा”, अनंत सिंह की धमाकेदार जीत, वीणा देवी 28 हजार से पराजित

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Mokama Election : मोकामा विधानसभा सीट का नतीजा आखिरकार सामने आ गया है। जिस सीट पर पूरे बिहार की नज़रें टिकी थीं, जहां चुनाव सिर्फ वोटों का नहीं बल्कि दो बाहुबलियों की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था, वहां जदयू प्रत्याशी और इलाके के कद्दावर नेता अनंत सिंह ने धमाकेदार जीत दर्ज की है। उन्होंने राजद प्रत्याशी और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को 28,206 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी है।


जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह को कुल 91,416 वोट हासिल हुए, जबकि उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी राजद की वीणा देवी को 63,210 वोट मिले। यह जीत न सिर्फ आंकड़ों में बड़ी है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि मोकामा लंबे समय से बाहुबली राजनीति का केंद्र रहा है।


जेल में रहते हुए भी जीत की लहर

अनंत सिंह इस समय जेल में बंद हैं, इसके बावजूद उनके समर्थन में भारी लहर देखने को मिली। उनकी गिरफ्तारी के बाद माना जा रहा था कि चुनाव में उन्हें चुनौती मिल सकती है, लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया कि मोकामा में अनंत सिंह का प्रभाव कम नहीं हुआ है।


उनके समर्थक पिछले एक हफ्ते से ही जीत की तैयारी में जुटे थे। काउंटिंग के दिन पटना के माल रोड स्थित उनके आवास पर समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बड़ी LED स्क्रीन लगाई गई थी, जिस पर सभी लोग वोटों की गिनती से जुड़ी अपडेट देख रहे थे। माहौल उत्सवी था, और चारों तरफ पोस्टर-बैनर लगे हुए थे। एक पोस्टर खास चर्चा में रहा, जिस पर लिखा था—"जेल का फाटक टूटेगा, मेरे शेख छूटेगा।" यह नारा अनंत सिंह के समर्थकों के आत्मविश्वास के साथ-साथ उनकी लोकप्रियता को भी दर्शाता है।


वीणा देवी के कैंप में सन्नाटा

वहीं दूसरी तरफ राजद प्रत्याशी वीणा देवी के चुनाव कार्यालय—डाक बंगला चौराहा स्थित कौशल्या स्टेट—में चुनाव परिणाम के बाद सन्नाटा पसरा हुआ था। वहां सुबह से ही पंडाल, कुर्सियां और इंतजार करती भीड़ मौजूद थी, लेकिन जैसे ही रुझान आने शुरू हुए, माहौल बदलने लगा। धीरे-धीरे भीड़ कम होती गई और शाम तक पूरा इलाका शांत हो गया। वीणा देवी और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि सूरजभान सिंह का प्रभाव और पिछड़ा समाज का वोट उन्हें बढ़त देगा, लेकिन भूमिहार बहुल क्षेत्र में समीकरण उनके खिलाफ चले गए।


पैतृक गांव में सन्नाटा, पटना में जश्न

अनंत सिंह के पैतृक आवास नदमा और उनके कारोबारी केंद्र कारगिल मार्केट में भारी चहल-पहल की उम्मीद थी, पर दोनों जगह माहौल शांत रहा। वजह यह थी कि अधिकतर समर्थक पटना में जुटे थे। हालांकि, अनंत सिंह ने मोकामा के सभी लोगों के लिए अपने यहां वृहद जश्न का आमंत्रण भेजा है। उनके घर के बाहर समर्थकों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।


दुलारचंद यादव हत्या केस और चुनाव की दिशा

मोकामा सीट पिछले कुछ महीनों से लगातार सुर्खियों में रही। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद राजनीतिक तापमान अचानक बढ़ गया था। इसी मामले में अनंत सिंह जेल में हैं, जबकि विपक्ष ने इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। इसके बावजूद अनंत सिंह के पक्ष में भूमिहार समाज स्पष्ट रूप से लामबंद दिखा। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद माना जा रहा था कि आरक्षित वर्गों और पिछड़ों में सहानुभूति की लहर बन सकती है, जो वीणा देवी के पक्ष में जाएगी, लेकिन चुनाव परिणाम ने इस अनुमान को गलत साबित किया।


रॉबिनहुड वाली छवि का प्रभाव

मोकामा में भूमिहार वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अनंत सिंह की लंबे समय से "रॉबिनहुड" वाली छवि रही है। कहा जाता है कि वे गरीबों और स्थानीय लोगों के लिए हर समय उपलब्ध रहते थे। यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता सिर्फ भूमिहारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यादव, पिछड़े, अति पिछड़े और दलित समुदायों में भी उनकी मजबूत पकड़ है।