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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 20 Nov 2025 09:55:18 AM IST
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Anant Singh Bail : मोकामा के बाहुबली नेता और नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की जमानत याचिका पर आज पटना सिविल कोर्ट में सुनवाई होनी है। दुलारचंद यादव हत्याकांड मामले में जेल में बंद अनंत सिंह की किस्मत का फैसला आज होना है। राजनीतिक हलकों में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण वाले दिन ‘छोटे सरकार’ जेल से बाहर आ पाएंगे या नहीं। पटना सिविल कोर्ट का फैसला इस समय पूरे बिहार की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप, अनंत सिंह ने दी दलीलें
जमानत याचिका में अनंत सिंह ने अपनी ओर से कई अहम तर्क रखे हैं। उन्होंने कहा है कि वे राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं। उनके अनुसार दुलारचंद यादव की हत्या से उनका न तो प्रत्यक्ष और न ही अप्रत्यक्ष कोई संबंध है। उन्होंने दावा किया कि पीड़ित परिवार द्वारा लगाए गए आरोप उनके राजनीतिक करियर और जनाधार को कमजोर करने की साजिश के तहत लगाए गए हैं।
अनंत सिंह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों के काफिलों का आमने-सामने आना और बहस होना एक साधारण मौखिक विवाद था। इसमें किसी भी प्रकार की साजिश, हमला योजना या हिंसक इरादा नहीं था। उन्होंने अदालत से कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दुलारचंद की मौत का कारण गोली नहीं, बल्कि गंभीर चोट पाई गई है। यह बात बुनियादी रूप से घटना को लेकर उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर सवाल खड़ा करती है।
जांच में सहयोग और कोई हथियार बरामद नहीं – अनंत का दावा
अनंत सिंह ने कोर्ट को बताया कि गिरफ्तार होने के बाद उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके पास से कोई हथियार, विस्फोटक या आपत्तिजनक वस्तु बरामद नहीं की है। इसके बावजूद उन्हें मुख्य आरोपी के रूप में जेल भेजा गया।
वर्तमान में अनंत सिंह बेऊर जेल में बंद हैं। वे इस हाई-प्रोफाइल हत्या मामले के मुख्य आरोपी हैं। लेकिन उनकी जमानत याचिका को लेकर जो तर्क दिए गए हैं, उनके आधार पर आज अदालत का फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।
घटना कैसे हुई थी?
29 अक्टूबर को मोकामा के घोसवरी थाना क्षेत्र के बसावनचक गांव में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी। इसी दौरान राजद नेता और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
घटना के अगले ही दिन अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर आरोप लगाया गया कि वे इस विवाद और हमले में शामिल थे। इसके बाद 1 नवंबर की रात पुलिस ने अनंत सिंह को गिरफ्तार किया और 2 नवंबर को उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद बेऊर जेल भेज दिया गया।
जेल में रहकर बने विधायक, फिर दिखी ‘छोटे सरकार’ की पुरानी पकड़
इस पूरे विवाद और गिरफ्तारी के बाद भी अनंत सिंह की राजनीतिक पकड़ चुनाव परिणामों में साफ दिखी। मोकामा सीट से उन्होंने 28,206 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। अनंत को कुल 91,416 वोट मिले, जबकि उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजद की वीणा देवी को 63,210 वोट प्राप्त हुए। इससे यह साफ है कि गिरफ्तारी के बावजूद उनके जनाधार में कोई कमी नहीं आई।अनंत सिंह का राजनीतिक करियर भी बेहद प्रभावशाली रहा है। वे 2005 से अब तक पांच बार विधायक रह चुके हैं—तीन बार जेडीयू से,एक बार राजद से और एक बार निर्दलीय के रूप में उन्होंने पहले भी जेल में रहते हुए निर्दलीय चुनाव जीता था। यह जीत उनके राजनीतिक प्रभाव को एक बार फिर साबित करती है।
क्या आज मिलेगा बेल का रास्ता?
आज पटना सिविल कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यदि उन्हें जमानत मिल जाती है तो वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण के दिन बाहर आ सकते हैं, जिससे राजनीतिक परिदृश्य में बड़ी हलचल मच सकती है। हालांकि, अदालत का अंतिम फैसला क्या होगा, यह दोपहर तक साफ हो जाएगा। लेकिन इतना जरूर है कि आज की सुनवाई बिहार की सियासत में सबसे चर्चित घटनाओं में से एक बनने जा रही है।