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Dular Chand Yadav murder case : 16 घंटे रंगदारी सेल में बंद अनंत सिंह से पुलिस ने पूछे यह सवाल, जानिए बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह ने क्यों कहा - ए सर... हमर चुनवा ठीक रहतय ने

Dular Chand Yadav murder case : मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को दुलारचंद यादव हत्याकांड में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना के बाद से राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। पुलिस की कड़ी पूछताछ में अनंत सिंह ने खुद को निर्दो

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 03 Nov 2025 09:37:06 AM IST

Dular Chand Yadav murder case : 16 घंटे रंगदारी सेल में बंद अनंत सिंह से पुलिस ने पूछे यह सवाल, जानिए बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह ने क्यों कहा - ए सर... हमर चुनवा ठीक रहतय ने

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Dular Chand Yadav murder case : मोकामा के चर्चित बाहुबली नेता और जनतादल यूनाइटेड (JDU) के प्रत्याशी अनंत सिंह को पुलिस ने दुलारचंद यादव हत्या मामले में गिरफ्तार कर लिया है। शनिवार देर रात उन्हें बाढ़ के कारगिल क्षेत्र से हिरासत में लेकर पटना ले जाया गया, जहां उन्हें SSP ऑफिस स्थित रंगदारी सेल में लगभग 14 घंटे तक रखा गया। इस दौरान पुलिस ने उनसे घटना से जुड़ी कई अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश की, लेकिन अनंत ने हर सवाल का जवाब अपने ही अंदाज में दिया।


चौंकाने वाला सवाल – “हमर चुनवा के की हो तय ठीक रहतय ने?”

पूछताछ के दौरान जब एक सवाल के जवाब से पहले अनंत सिंह ने SSP से पूछा, “हमर चुनवा के की हो तय ठीक रहतय ने?”, तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों को भी आश्चर्य हुआ। हालांकि वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें आश्वस्त किया कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से होंगे और उन्हें उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। यह वाकया इस बात की ओर इशारा करता है कि अनंत के दिमाग में गिरफ्तारी से अधिक चुनाव था।


घटना वाले दिन क्या हुआ? अनंत बोले – “हम तो 300 मीटर आगे बढ़ चुके थे”

पुलिस ने जब सीधे सवाल किया कि क्या वे दुलारचंद हत्याकांड में शामिल थे, तो अनंत सिंह ने सधे शब्दों में कहा, “नहीं, मैं हत्या में शामिल नहीं हूं। मैं जनसंपर्क से वापस लौट रहा था और मेरी गाड़ी 300 मीटर आगे बढ़ चुकी थी।”


अनंत सिंह का कहना था कि दुलारचंद की हत्या के वक्त वे घटनास्थल से काफी आगे जा चुके थे। “मेरे काफिले में लगभग 40-50 गाड़ियां थीं, जिसमें कुछ पीछे रह गईं। इन्हीं में आपस में विवाद हुआ और विवाद बढ़ते-बढ़ते मारपीट में बदल गया। किसने किसको मारा, मुझे नहीं पता। भीड़ में दुलारचंद की मौत हो गई।”


“दुलारचंद को जानता हूं, दुश्मनी नहीं थी”

जब पुलिस ने अनंत से पूछा कि क्या वे दुलारचंद को जानते थे, तो उन्होंने जवाब दिया, “हां, मैं उसको जानता हूं। वह इन दिनों जन सुराज का प्रचार कर रहा था, पहले लालू यादव के साथ राजद में था। मेरी उससे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी।” अनंत सिंह के इस बयान से साफ पता चलता है कि दुलारचंद का राजनीतिक रुझान बदलने के बावजूद उनके बीच किसी तरह की पुरानी रंजिश नहीं थी।


50 गाड़ियों का काफिला और आचार संहिता का उल्लंघन?

SSP ने अनंत से यह भी पूछा कि वे 50 गाड़ियों का काफिला लेकर कैसे चल रहे थे? क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? इस पर अनंत सिंह ने अपना खास अंदाज़ दिखाते हुए जवाब दिया, “हम तो कम गाड़ी लेकर चले थे, लोग खुद-ब-खुद जुड़ गए। मोकामा हमारा इलाका है, लोग मिलते जाते हैं। उन्हें कैसे रोका जा सकता है?”


ये बयान साफ करता है कि अनंत सिंह ने अपने समर्थकों की स्वतःस्फूर्त भागीदारी को अपना बचाव माना, जबकि सच्चाई यह है कि आचार संहिता के तहत इस तरह के काफिले पूरी तरह प्रतिबंधित हैं।


सवालों पर टालमटोल, जवाबों में बचाव

पूछताछ में बार-बार एक ही सवाल घुमाकर अनंत से पूछा गया – "आपकी मौजूदगी में हत्या हुई या नहीं?" “आपके लोगों ने हथियार कहां से लाए?” “वीडियो सामने हैं, क्या आपके लोग भीड़ में शामिल नहीं थे?” हर सवाल पर अनंत सिंह ने यही राग अलापा – “किसने मारा, कैसे मारा, मुझे नहीं पता। मैं तो आगे था।” हालांकि जब उनसे पूछा गया कि अगर आपके लोगों ने दुलारचंद को मारा तो आपने रोका क्यों नहीं, तो उन्होंने जवाब दिया – “मैंने किसी को मारने को नहीं कहा। न मैं शामिल था, न मैंने किसी को उकसाया।”


चुनावी लाभ का सवाल, अनंत ने किया इनकार

जब पुलिस ने पूछा कि क्या इस हत्या को चुनावी लाभ के लिए करवाया गया, तो अनंत सिंह भड़क से गए। “क्या कह रहे हैं आप! मेरा चुनाव तो वैसे भी ठीक चल रहा है। हमारा कोई कंपटीशन ही नहीं था। ऐसे में फायदा क्या होता?” अनंत के इस बयान से यह बात भी उभर कर आती है कि वे खुद को चुनाव में मजबूत स्थिति में मान रहे थे और हत्या को पूरी तरह से एक आकस्मिक भिड़ंत बताते रहे।


दोबारा पूछताछ, फोकस साथियों पर

शनिवार रात 12:45 बजे के करीब अनंत सिंह को पटना पुलिस मुख्यालय लाया गया, जहां 1:30 बजे से दोबारा पूछताछ शुरू हुई। इस बार पुलिस का ध्यान उनके करीबी सहयोगियों – मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम पर था। माना जा रहा है कि ये दोनों नेता घटना के वक्त काफिले का हिस्सा थे और पुलिस इनके जरिए घटना की कड़ियों को जोड़ने का प्रयास कर रही है।


अब आगे क्या?

अनंत सिंह को रविवार की सुबह कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। दूसरी तरफ पुलिस ने मामले को संगीन वारदात बताते हुए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है, जो घटना से जुड़े हर वीडियो, बयान और सबूत की जांच करेगी।


मोकामा में कानून का शिकंजा कसा हुआ है, लेकिन इस घटना ने वहां की चुनावी हवा में नया मोड़ ला दिया है। अब देखना होगा कि दुलारचंद यादव की हत्या का मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और इसका असर 2025 विधानसभा चुनाव के समीकरणों पर कितना पड़ता है।