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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 06 Nov 2025 07:19:38 AM IST
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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर वोटिंग हो रही है, जिसमें कई बाहुबली और चर्चित नेताओं के बीच मुकाबला काफी रोमांचक दिखाई दे रहा है। पहले फेज की सबसे हॉट सीट मोकामा है, जहां जेडीयू के उम्मीदवार और बाहुबली नेता अनंत सिंह मैदान में हैं। उनका मुकाबला RJD उम्मीदवार वीणा देवी से है, जो कि बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी हैं। इस सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि दोनों ही अपने-अपने इलाके में मजबूत पकड़ रखते हैं।
दानापुर विधानसभा क्षेत्र भी काफी चर्चित है। यहां बीजेपी के रामकृपाल यादव और RJD के बाहुबली नेता रीतालाल यादव के बीच मुकाबला है। रीतलाल यादव कभी भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के मामले में आरोपी रह चुके हैं और फिलहाल 50 लाख रुपये रंगदारी मांगने के आरोप में भागलपुर जेल में बंद हैं। इस सीट पर मुकाबला इसलिए भी ध्यान आकर्षित कर रहा है क्योंकि दोनों ही उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि विवादास्पद रही है।
वैशाली के लालगंज से बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला RJD की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। लालगंज सीट पर शिवानी का मुकाबला स्थानीय नेताओं से है। इस सीट पर शिवानी का नाम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पिता मुन्ना शुक्ला और माता अनु शुक्ला पहले विधायक रह चुके हैं। इस परिवार की राजनीतिक पकड़ इलाके में मजबूत मानी जाती है।
सीवान से भी बाहुबली परिवार की सक्रियता दिखाई दे रही है। RJD ने रघुनाथपुर सीट से ओसामा शहाब, जो कि चर्चित बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे हैं, को टिकट दिया है। शहाबुद्दीन कभी सीवान में RJD के प्रमुख चेहरे थे। अब उनके बेटे ओसामा चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने JDU ने विकास कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। ओसामा की मां हिना शहाब ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाग लिया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
ब्रह्मपुर से बाहुबली हुलास पांडे LJP-R की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। हुलास, बाहुबली सुनील पांडे के भाई हैं। सुनील पांडे बिहार के चर्चित बाहुबली नेताओं में शामिल हैं। हुलास पांडे पहले भी 2020 में ब्रह्मपुर से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार गए थे। उनके नाम ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के मामले में भी शामिल रहा है।
मांझी सीट से JDU ने रणधीर सिंह को मैदान में उतारा है। रणधीर सिंह बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे हैं। प्रभुनाथ सिंह पहले सांसद रह चुके हैं और फिलहाल मसरख के तत्कालीन MLA अशोक सिंह की हत्या के मामले में जेल की सजा काट रहे हैं।
पहले चरण के चुनाव में जिन बाहुबली नेताओं के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है, उनमें मोकामा से अनंत सिंह, मोकामा से बीना देवी, एकम सीट से धूमल सिंह, कुचायकोट (गोपालगंज) से अमरेंद्र पांडे, रघुनाथपुर से ओसामा शहाब, सारण (मांझी) से रणधीर सिंह, दानापुर से रीतालाल यादव, लालगंज से मुन्ना शुक्ला, ब्रह्मपुर से हुलास पांडे शामिल हैं। इन नेताओं के बीच मुकाबला न केवल सीटों पर बल्कि बिहार की राजनीति में भी हलचल पैदा कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस चरण में बाहुबली नेताओं की भागीदारी और उनके परिवारों की राजनीतिक पकड़ चुनाव को और अधिक संवेदनशील बना रही है। इन नेताओं के कारण चुनावी रैलियों, प्रचार अभियान और वोटिंग पैटर्न पर भी असर पड़ रहा है। बिहार में बाहुबली और उनके परिवार की राजनीतिक पकड़ कई दशक पुरानी रही है, और इस बार भी उनका असर दिखाई दे रहा है।
संपूर्ण पहले चरण का चुनाव इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि ये सीटें अगले 5 साल की राजनीति और सत्ता संतुलन में अहम भूमिका निभा सकती हैं। बाहुबली नेताओं की मौजूदगी और उनके क्षेत्रीय प्रभाव ने चुनाव को और अधिक प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बना दिया है। मतदाताओं की भागीदारी और बाहुबली नेताओं के बीच मुकाबले की गहमागहमी इस चुनावी चरण को बिहार के इतिहास में यादगार बना सकती है।
इस प्रकार, पहले चरण की वोटिंग में बाहुबली नेताओं के बीच मुकाबला, परिवारिक राजनीतिक पकड़ और विवादास्पद मामलों में नाम शामिल होना चुनाव को और अधिक दिलचस्प और संवेदनशील बना रहा है। बिहार की राजनीति में इन सीटों का नतीजा आगे आने वाले राजनीतिक समीकरणों को तय करने में अहम साबित होगा।