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Bihar Election 2025: चुनाव आयोग का सख्त आदेश, डीपफेक और भ्रामक वीडियो फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई

Bihar Election 2025: इलेक्शन कमीशन ने एक विस्तृत प्रेस नोट जारी करते हुए राजनीतिक दलों को आगाह किया है कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टूल्स का दुरुपयोग न करें।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 09 Oct 2025 12:58:00 PM IST

Bihar Elections 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इस बार चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। वहीं, मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर 2025 को तारीखों की औपचारिक घोषणा की, जिसके साथ ही पूरे प्रदेश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है। इसके लागू होते ही प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं और सभी दलों ने चुनावी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।


इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास माना जा रहा है। एक ओर जहां जनता महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दों पर नेताओं से सवाल पूछने के लिए तैयार है, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी इस बार टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। आयोग ने साफ कर दिया है कि आचार संहिता केवल भौतिक प्रचार-प्रसार तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डाले जाने वाले हर कंटेंट पर भी लागू होगी।


इलेक्शन कमीशन ने एक विस्तृत प्रेस नोट जारी करते हुए राजनीतिक दलों को आगाह किया है कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टूल्स का दुरुपयोग न करें। चुनाव आयोग ने कहा है कि किसी भी उम्मीदवार या पार्टी द्वारा डीपफेक वीडियो, भ्रामक ऑडियो या सिंथेटिक मीडिया कंटेंट फैलाने की कोशिश को गंभीर अपराध माना जाएगा। ऐसे मामलों में न केवल कंटेंट हटाया जाएगा, बल्कि संबंधित दल या व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। आयोग ने स्पष्ट किया है कि गलत सूचना या डीपफेक का उपयोग जनता की राय को प्रभावित करने का प्रयास है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा है।


एक अहम दिशा-निर्देश में आयोग ने कहा है कि यदि कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार AI-generated, digitally enhanced या synthetic कंटेंट का इस्तेमाल करता है, तो उसे अनिवार्य रूप से इन शब्दों के साथ लेबल करना होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जनता को यह पता हो कि कौन-सा कंटेंट वास्तविक है और कौन-सा तकनीकी रूप से तैयार किया गया है। आयोग का यह कदम सोशल मीडिया पर पारदर्शिता बढ़ाने और फेक न्यूज़ के प्रसार को रोकने के लिए उठाया गया है।


चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि इस बार सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल (SMC) को और अधिक सशक्त किया गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, X (ट्विटर) और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखी जाएगी। आयोग ने कहा है कि किसी भी आपत्तिजनक, भ्रामक या आचार संहिता के उल्लंघन वाले कंटेंट को तुरंत हटाया जाएगा। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वे चुनावी अवधि के दौरान फर्जी अकाउंट्स और डीपफेक सामग्री पर तत्काल कार्रवाई करें।


आयोग ने सभी दलों और प्रत्याशियों को यह भी याद दिलाया है कि वे अपने प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना केवल उनकी नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यों के आधार पर करें। किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के निजी जीवन या असत्य आरोपों से संबंधित बयान देने से बचें। यह दिशा-निर्देश लोकतांत्रिक मर्यादा बनाए रखने और स्वस्थ चुनावी माहौल तैयार करने के लिए जारी किया गया है।


चुनाव आयोग ने साफ किया है कि आचार संहिता या इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें सोशल मीडिया पोस्ट हटाने से लेकर कानूनी कार्रवाई तक शामिल हो सकती है। आयोग ने जनता से भी अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध या फेक कंटेंट की तुरंत शिकायत करें।


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब पूरी तरह डिजिटल सतर्कता के दायरे में है। जहां एक ओर राजनीतिक दल अपने प्रचार अभियान को रफ्तार दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने की तैयारी कर ली है कि फर्जी खबरें, डीपफेक और गलत सूचनाएं चुनावी माहौल को प्रभावित न कर सकें। लोकतंत्र के इस पर्व में अब सिर्फ नारे और भाषण नहीं, बल्कि डिजिटल शुचिता भी सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है।