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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 08:52:11 AM IST
बिहार चुनाव रिजल्ट 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि गठबंधन और व्यक्तिगत करिश्मे का संयोजन ही राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। इस बार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। भाजपा ने 89 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं जनता दल (यूनाइटेड) को 85 सीटें मिलीं। इसके अलावा अन्य सहयोगी दलों ने मिलकर NDA को मजबूत स्थिति में खड़ा किया। महागठबंधन को इस चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस बार राजद महज 25 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों का प्रदर्शन भी अपेक्षित स्तर से कम रहा।
हालांकि, चुनाव परिणाम में कुछ ऐसी विधानसभा सीटें भी रही, जहां हार-जीत का अंतर बेहद कम रहा और इन सीटों पर मतदान परिणाम बेहद रोचक और निर्णायक रहे। पहली ऐसी सीट संदेश विधानसभा थी, जहां जदयू के राधा चरण साह ने मात्र 27 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की। उन्हें कुल 80,598 वोट मिले, जबकि उनके मुख्य विरोधी आरजेडी के दीपू सिंह को 80,571 वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव ने दिखाया कि छोटे मतों के अंतर पर भी चुनाव परिणाम बदल सकता है और प्रत्याशियों की रणनीति तथा स्थानीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं।
दूसरा नजदीकी मुकाबला अगिआंव विधानसभा सीट पर देखने को मिला। यहां बीजेपी के महेश पासवान ने मात्र 95 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। महेश पासवान को 69,412 वोट मिले, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के उम्मीदवार शिव प्रकाश रंजन 69,317 वोटों के साथ बेहद नजदीक रहे। यह परिणाम दर्शाता है कि छोटी जीतें भी पार्टी की ताकत और उम्मीदवार की लोकप्रियता का सही संकेत देती हैं।
तीसरा दिलचस्प मुकाबला फारबिसगंज विधानसभा में देखने को मिला। कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज विश्वास ने 221 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उन्हें कुल 1,20,114 वोट मिले, जबकि बीजेपी के प्रत्याशी विद्या सागर केशरी 1,19,893 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। फारबिसगंज का यह परिणाम यह स्पष्ट करता है कि कांग्रेस कुछ क्षेत्रों में अपने पुराने जनाधार को बनाए रखने में सफल रही, लेकिन पूरे चुनाव में उसका प्रभाव सीमित रहा।
चौथा नजदीकी मुकाबला बोधगया सीट पर देखने को मिला। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उम्मीदवार कुमार सर्वजीत ने 881 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उन्हें कुल 1,00,236 वोट मिले, जबकि एलजेपी (रामविलास) के प्रत्याशी श्यामदेव पासवान को 99,355 वोट प्राप्त हुए। यह सीट इस बात का उदाहरण है कि बिहार में छोटे दलों और नए उभरते नेताओं की राजनीतिक पकड़ भी महत्वपूर्ण होती जा रही है और वे बड़े दलों के लिए चुनौती बन सकते हैं।
पांचवीं और अंतिम नजदीकी सीट बख्तियारपुर पर रही। यहां लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अरुण कुमार ने 981 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उन्हें 88,520 वोट मिले, जबकि आरजेडी के अनिरुद्ध कुमार 87,539 वोटों के साथ हारे। यह परिणाम एलजेपी (रामविलास) की बढ़ती लोकप्रियता और स्थानीय स्तर पर उसके मजबूत प्रभाव को दर्शाता है।
इस चुनाव में NDA की व्यापक जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि और रणनीति चुनाव में निर्णायक रही। भाजपा ने 89 सीटें जीतकर अपनी स्थिति और मजबूत की, जबकि जदयू ने 85 सीटों पर जीत हासिल की। यह दोनों दलों की चुनावी रणनीति, गठबंधन की ताकत और उम्मीदवारों की लोकप्रियता का परिणाम है।
महागठबंधन की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर रही। राजद ने केवल 25 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा। राजद नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। यह परिणाम बिहार में मतदाताओं के मूड, स्थानीय समीकरण और गठबंधन रणनीतियों को दर्शाता है।
विशेष रूप से, पांच नजदीकी मुकाबले वाली सीटों पर जीत का अंतर यह बताता है कि बिहार में चुनाव केवल बड़े दलों के बीच नहीं, बल्कि छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रभाव के कारण भी निर्णायक हो रहा है। संदेश, अगिआंव, फारबिसगंज, बोधगया और बख्तियारपुर विधानसभा सीटें इसके स्पष्ट उदाहरण हैं।
इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि बिहार में राजनीतिक परिदृश्य लगातार बदल रहा है। छोटे दल, नई युवा ताकतें और स्थानीय मुद्दे बड़े दलों के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं। भविष्य में बिहार की राजनीति में गठबंधन की भूमिका, युवा नेताओं का उदय और स्थानीय समीकरण का महत्व और बढ़ने की संभावना है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने स्पष्ट किया कि NDA की व्यापक जीत, छोटे मतों पर निर्भर नजदीकी मुकाबले और नए राजनीतिक चेहरों की उभरती ताकत, बिहार की राजनीति में आने वाले वर्षों में निर्णायक भूमिका निभाने वाली हैं।