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Bhagalpur Election 2025 : बॉलीवुड का ग्लेमर भी नहीं आ रहा काम ! अजित शर्मा भागलपुर सीट से पिछड़े,BJP कैंडिडेट ने बनाई बढ़त

भागलपुर विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है। छह राउंड की गिनती के बाद बीजेपी के रोहित पांडे 7500 वोटों से आगे चल रहे हैं, जबकि कांग्रेस के अजित शर्मा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। पिछली बार मामूली अंतर से हारे रोहित पांडे इस बार बढ़

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Nov 2025 12:53:22 PM IST

Bhagalpur Election 2025 : बॉलीवुड का ग्लेमर भी नहीं आ रहा काम ! अजित शर्मा भागलपुर सीट से पिछड़े,BJP कैंडिडेट ने बनाई बढ़त

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Bhagalpur Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सबसे चर्चित और रोमांचक मुकाबलों में से एक भागलपुर सीट इस बार फिर सुर्खियों में है। छह राउंड की मतगणना पूरी होने के बाद भाजपा उम्मीदवार रोहित पांडे करीब 7500 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं। शुरुआती रुझानों ने इस सीट पर दिलचस्प तस्वीर पेश कर दी है, जहां एक बार फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अजित शर्मा और भाजपा के रोहित पांडे आमने-सामने हैं।


पिछले चुनाव में भी इन दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। 2020 में कांग्रेस के अजित शर्मा ने भाजपा के रोहित पांडे को लगभग 1,100 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया था। उसी हार को भुलाने और जनता के बीच नए संदेश के साथ उतरने के लिए इस बार रोहित पांडे ने व्यापक स्तर पर प्रचार किया। वहीं, कांग्रेस ने भी इस सीट पर कोई कसर नहीं छोड़ी, खासकर इस बात को देखते हुए कि पिछली जीत बहुत मामूली अंतर से मिली थी।


नेहा शर्मा के प्रचार ने बढ़ाई चर्चा

इस बार चुनाव प्रचार के दौरान एक खास बात और देखने को मिली—कांग्रेस उम्मीदवार अजित शर्मा की बेटी और बॉलीवुड एक्ट्रेस नेहा शर्मा ने भी उनके लिए मैदान में उतरकर प्रचार किया। नेहा शर्मा की लोकप्रियता और उनकी उपस्थिति ने चुनाव प्रचार को चर्चा में ला दिया। कई जगहों पर उनके रोड शो और जनसभाओं में बड़ी संख्या में युवाओं और महिलाओं की भीड़ देखने को मिली। हालांकि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस स्टार प्रचार का कितना लाभ कांग्रेस को मिलता है और क्या यह प्रभाव मतगणना के अंतिम चरणों में नजर आएगा।


कुल 12 प्रत्याशी मैदान में, मुकाबले का दायरा बढ़ा

भागलपुर विधानसभा सीट से इस बार कुल 12 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इतने बड़े मुकाबले ने चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। मतदाताओं के बीच समीकरण पहले से जटिल रहे हैं, लेकिन इस बार नए चेहरों और नए दलों ने इस पारंपरिक मुकाबले में ताजगी के साथ-साथ चुनौती भी जोड़ दी है। चुनाव प्रचार 9 नवंबर तक चला, 11 नवंबर को मतदान हुआ और 14 नवंबर को मतगणना के बाद नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। शुरुआती रुझानों में भाजपा बढ़त में है, लेकिन यह सीट पहले से ही उतार-चढ़ाव वाली रही है, इसलिए अंतिम परिणाम क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगा।


सामाजिक समीकरणों की नई बिसात

भागलपुर की राजनीति में सामाजिक समीकरण हमेशा निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। इस बार भी यही स्थिति देखने को मिल रही है कांग्रेस एम-वाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक पर निर्भर है और पचपौनिया मतदाताओं को जोड़ने में जुटी है। भाजपा का फोकस वैश्य, सवर्ण और अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं पर है, जिनमें पार्टी की पकड़ पहले से मजबूत मानी जाती है। दोनों प्रमुख दलों ने इस बार बूथ स्तर तक अपने संगठन को सक्रिय किया। सोशल मीडिया, जनसंपर्क, पैदल यात्रा, नुक्कड़ सभाएं—हर माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश की गई।


प्रशांत किशोर की पार्टी से मुकाबला और दिलचस्प

चुनाव में इस बार एक और नया आयाम जुड़ा है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से अभय कांत झा इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जन सुराज ने पिछले कुछ महीनों में बिहार के कई इलाकों में मजबूत उपस्थिति दिखाई है। अभय कांत झा के आने से पारंपरिक भाजपा–कांग्रेस मुकाबले में तीसरा मोर्चा खड़ा हो गया है। भले ही जीत का प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच माना जा रहा है, लेकिन जन सुराज की पैठ ने दोनों दलों को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है।


बीएसपी ने भी उतारी उम्मीदवार

बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने इस बार रेखा दास को उम्मीदवार बनाया है। बीएसपी का वोट शेयर सीमित रहा है, लेकिन इस तरह के त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबलों में उनका वोट बैंक जीत-हार का अंतर प्रभावित कर सकता है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों इस बार किसी भी वोट के बिखराव को लेकर सतर्क दिखे।


राज्यव्यापी संतुलन को प्रभावित कर सकता है यह चुनाव

भागलपुर सीट सिर्फ एक स्थानीय विधानसभा क्षेत्र नहीं है, बल्कि राज्य की राजनीति में भी इसकी प्रतीकात्मक भूमिका महत्वपूर्ण रही है। यहां का परिणाम न केवल भागलपुर जिले, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी राजनीतिक उत्साह और संदेश निर्धारित करता है। एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई मानी जा रही है।


इस समय मतगणना जारी है और रोहित पांडे आगे चल रहे हैं। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भागलपुर में मुकाबला हमेशा अंतिम राउंड में पलट सकता है। ऐसे में सभी की निगाहें मतगणना के अंतिम चरणों पर टिकी हुई हैं। 2025 का भागलपुर चुनाव एक बार फिर साबित कर रहा है कि यहां की जनता हर बार लोकतंत्र के इस बड़े पर्व को उत्साह और दिलचस्पी के साथ जीती है। अब देखना है कि इस बार जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है—पुरानी पसंद को दोहराती है या बदलाव का विकल्प चुनती है।