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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 02 Nov 2025 09:44:49 AM IST
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Mokama Election 2025 : बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा क्षेत्र अक्सर सुर्खियों में रहता है। यहां की राजनीति बाहुबल, प्रभाव और परिवारवाद की कहानी बयां करती है। हालिया घटनाक्रम में फिर से इस इलाके की चर्चा तेज हो गई है। मोकामा के पूर्व विधायक और चर्चित बाहुबली अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब यह अटकलें जोर पकड़ रही हैं कि उनकी पत्नी नीलम देवी जल्द ही मैदान में उतर सकती हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें दिल्ली से मोकामा बुलाया गया है और वे सक्रिय रूप से चुनावी मोर्चा संभालने की तैयारी में हैं।
अनंत सिंह, जो कई दशकों से मोकामा की राजनीति के केंद्र में रहे हैं, जेडीयू और RJD के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। उनके खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं और इस वक्त वे जेल में हैं। ऐसे में उनके समर्थकों में बेचैनी है और विरोधी दल इस मौके का फायदा उठाने की फिराक में हैं। अनंत सिंह के प्रभावशाली कद के चलते उनके राजनीतिक खेल को अब उनकी पत्नी नीलम देवी आगे बढ़ा सकती हैं।
नीलम देवी का राजनीतिक सफर और छवि
नीलम देवी का नाम राजनीति में भले ही अनंत सिंह जितना चर्चित न हो, लेकिन वह भी राजनीतिक मैदान की खिलाड़ी रही हैं। वह 2019 में मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं, हालांकि वे जीत हासिल नहीं कर पाईं। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी मौजूदगी का एहसास जरूर कराया था। इसके बाद उपचुनाव में यह मैदान में आई और उन्हें जीत हासिल हुई और वर्तमान में वह मोकामा की विधायक हैं। नीलम देवी को शांत लेकिन मजबूत स्वभाव की महिला नेता माना जाता है। उनके अंदर वो सबकुछ है जो एक जननेता के परिवार से आने वाले नेता में होना चाहिए।
दिल्ली से बुलाए जाने की खबर का मतलब?
सूत्रों की मानें, तो अनंत सिंह के विश्वासपात्रों द्वारा नीलम देवी को दिल्ली से मोकामा बुलाया जा रहा है। यह कदम इस बात का संकेत देता है कि अनंत सिंह की गैरमौजूदगी में उनके राजनीतिक आधार को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। नीलम देवी की सक्रियता से न सिर्फ उनके समर्थकों को नया जोश मिलेगा, बल्कि विरोधियों को भी चुनौती मिलेगी। यह भी चर्चा है कि नीलम देवी को पार्टी (की ओर से भी समर्थन मिल सकता है, क्योंकि ऐसी सूरत में पार्टी को अपने पुराने वोटबैंक को बचाए रखने की जरूरत होगी।
क्या असर पड़ेगा इस कदम का?
सहानुभूति लहर का फायदा: बिहार की राजनीति में सहानुभूति एक बड़ा फैक्टर रहा है। चाहे वह लालू प्रसाद यादव का मामला हो या फिर शाहबुद्दीन का। अनंत सिंह के जेल जाने की वजह से उनके समर्थकों में सहानुभूति है, और नीलम देवी इसके सहारे चुनावी लाभ लेने की कोशिश करेंगी।
मतदाताओं में नई उम्मीदें: नीलम देवी एक महिला चेहरा हैं, और महिलाओं में उनकी पकड़ अनंत सिंह से मजबूत हो सकती है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की बड़ी संख्या मतदान में हिस्सा लेती है। ऐसे में नीलम देवी की उपस्थिति महिला वोटरों को खासा आकर्षित कर सकती है।
विरोधियों के लिए चुनौती: मोकामा में वर्तमान में जो भी विपक्षी उम्मीदवार हैं, उनके लिए नीलम देवी का मैदान में उतरना मुश्किलें खड़ी कर सकता है। अनंत सिंह की छवि चाहे जैसी रही हो, लेकिन उनका जनाधार बड़ा है। नीलम देवी इसी जनाधार को फिर से सक्रिय कर सकती हैं।
गठबंधन की राजनीति पर असर: यह भी देखा जाएगा कि अगर नीलम देवी किस तरह तालमेल कर मैदान में उतरती हैं, तो गठबंधन समीकरण कैसे बनते हैं। विपक्षी दलों पर इसका गहरा असर भी पड़ सकता है।
हालांकि यह भी सच है कि नीलम देवी के लिए चुनौतियाँ कम नहीं होंगी। एक तरफ उन्हें अपने पति की छवि का लाभ उठाना होगा, वहीं दूसरी तरफ विधि-व्यवस्था, विकास और स्थानीय मुद्दों पर भी जनता को संतुष्ट करना होगा। इसके अलावा मोकामा में जो नए राजनीतिक चेहरे उभर रहे हैं, वे भी नीलम देवी के लिए चुनौती बन सकते हैं।
कुल मिलाकर, अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद नीलम देवी के सक्रिय होने की चर्चा मोकामा की राजनीतिक दिशा बदल सकती है। यह कदम न केवल अनंत सिंह के राजनीतिक वजूद को बनाए रखने की कोशिश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिहार की राजनीति में परिवार का दखल अभी भी गहरा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीलम देवी कैसे चुनावी जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत करती हैं और क्या वे सच में अनंत सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में सफल होती हैं या नहीं।