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Bihar politics : JDU उम्मीदवार अनंत सिंह गिरफ्तार, दुलार चंद यादव हत्या मामले में आजीवन कारावास या इस तरह के दंड का खतरा; BNS की इन गंभीर धाराओं में हुए अरेस्ट

Bihar politics : मोकामा के पूर्व विधायक और JDU उम्मीदवार अनंत सिंह को दुलार चंद यादव हत्या मामले में गिरफ्तार किया गया। हत्या, समान अभिप्राय और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत उन्हें आजीवन कारावास या मृत्युदंड का खतरा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 02 Nov 2025 12:27:17 PM IST

Bihar politics : JDU उम्मीदवार अनंत सिंह गिरफ्तार, दुलार चंद यादव हत्या मामले में आजीवन कारावास या इस तरह के दंड का खतरा;  BNS की इन गंभीर धाराओं में हुए अरेस्ट

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Bihar politics : बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा सीट हमेशा सुर्खियों में रही है, और इस बार यह सीट फिर विवादों के केंद्र में आ गई है। शनिवार देर रात मोकामा के पूर्व विधायक और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार अनंत सिंह को गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी जन सुराज के समर्थक दुलार चंद यादव की हत्या के मामले में हुई है। अनंत सिंह इस समय जेडीयू के टिकट पर मोकामा सीट से चुनावी मैदान में हैं।


गिरफ्तारी की कार्रवाई पटना पुलिस ने अंजाम दी। जानकारी के अनुसार, अनंत सिंह को राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर दूर बाढ़ स्थित उनके मार्केट और बैठका कारगिल से हिरासत में लिया गया। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1), धारा 3(5) और शस्त्र अधिनियम (Arms Act) की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है।


अनंत सिंह पर लगे आरोप और सजा का प्रावधान

अनंत सिंह पर जो धाराएं लगाई गई हैं, वे हत्या, समान अभिप्राय और अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर अपराधों से जुड़ी हैं। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इन धाराओं का सम्मिलित प्रभाव बेहद गंभीर है और अगर अदालत में आरोप सिद्ध होते हैं, तो आरोपी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है।


BNS धारा 103(1) - हत्या के लिए दंड:

BNS की धारा 103(1) के अनुसार, जो कोई हत्या करता है, उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास, और साथ में जुर्माने की सजा दी जा सकती है। यह धारा पुराने IPC की धारा 302 के समान है। हत्या जैसे जघन्य अपराध में अदालत परिस्थिति और सबूतों के आधार पर फांसी या उम्रकैद का फैसला कर सकती है।


BNS धारा 3(5) - समान अभिप्राय:

यह धारा अपराध में शामिल सभी लोगों के समान दायित्व को तय करती है। इसका मतलब है कि अगर हत्या या अन्य अपराध की योजना में कई लोग शामिल हैं, तो हर व्यक्ति उतना ही दोषी माना जाएगा, जैसे उसने अपराध अकेले किया हो। यह धारा IPC की धारा 34 का विकल्प है। अगर अदालत में अपराध सिद्ध हो जाता है, तो सभी आरोपी समान सजा भुगतेंगे।


शस्त्र अधिनियम (Arms Act):

अनंत सिंह पर Arms Act, 1959 की धाराएं भी लागू की गई हैं। इस अधिनियम के तहत बिना लाइसेंस हथियार रखने पर 3 से 7 साल की सजा हो सकती है। वहीं, अवैध हथियारों के इस्तेमाल या हत्या में प्रयोग होने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है। 2019 में हुए संशोधन के बाद यह कानून और अधिक सख्त हो गया है।


कानूनी जानकारों के अनुसार, अनंत सिंह के खिलाफ लगे हत्या और समान अभिप्राय के आरोप दोनों ही गंभीर हैं। अगर अदालत में आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो आरोपी के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड से बचना कठिन होगा। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि मामले की संवेदनशीलता और चुनावी समय को देखते हुए पुलिस और अदालत इस पर विशेष ध्यान दे रही है।


मोकामा विधानसभा पर राजनीतिक असर

अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने मोकामा विधानसभा सीट पर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। मोकामा हमेशा से बाहुबली नेताओं की टक्कर और परिवारिक राजनीति के लिए जाना जाता रहा है। इस बार अनंत सिंह का मैदान से हटना या कमजोर होना, अन्य उम्मीदवारों के लिए अवसर पैदा कर सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जेडीयू के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि अनंत सिंह ने पिछले चुनावों में यहां मजबूत पकड़ बनाई है।


जनता और पुलिस की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोग और चुनावी पर्यवेक्षक इस गिरफ्तारी को सख्त कानून और व्यवस्था की कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं। पटना पुलिस ने बताया कि अनंत सिंह को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच जारी है। पुलिस ने मामले के सभी पहलुओं की छानबीन शुरू कर दी है, जिसमें हत्या की साजिश, हथियारों का प्रयोग और अन्य संदिग्ध गतिविधियां शामिल हैं।


अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने मोकामा विधानसभा चुनाव को और अधिक संवेदनशील और नाटकीय बना दिया है। हत्या, समान अभिप्राय और शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज आरोप गंभीर हैं और अगर अदालत में सिद्ध हो जाते हैं, तो आरोपी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, यह घटना मोकामा की राजनीति में संतुलन बदलने वाला मोड़ साबित हो सकती है। इस बीच, चुनाव आयोग और सुरक्षा एजेंसियां इस सीट पर सख्त निगरानी रख रही हैं। आने वाले दिनों में अनंत सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक प्रभाव दोनों ही देखने को मिल सकते हैं।