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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 04 Nov 2025 03:14:48 PM IST
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8th Pay Commission : केंद्र सरकार ने आखिरकार लंबे समय से लंबित पड़े 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन की आधिकारिक घोषणा कर दी है। यह घोषणा केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी राहत और उम्मीद लेकर आई है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग (Department of Expenditure) ने 3 नवंबर 2025 को जारी गजट अधिसूचना के जरिए आयोग की संरचना, सदस्यों, कार्यक्षेत्र (Terms of Reference - TOR) और मुख्यालय का ब्योरा सार्वजनिक किया है।
यह आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों, रक्षा बलों के जवानों, केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्ते और अन्य वित्तीय लाभों की समीक्षा करेगा तथा उपयुक्त सिफारिशें देगा। 8वां वेतन आयोग बनने के साथ ही करीब 50 लाख सक्रिय कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों को अपने भविष्य के वेतन ढांचे और लाभों में बड़े सुधार की उम्मीदें बंध गई हैं।
आयोग की संरचना: तीन सदस्यीय पैनल
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, 8वें वेतन आयोग का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई करेंगे, जिन्हें इस आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, प्रोफेसर पुलक घोष को आयोग का पार्ट-टाइम सदस्य तथा पंकज जैन को सदस्य-सचिव नियुक्त किया गया है।
आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा और यह अपनी सिफारिशें तैयार करने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा। आयोग को 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने की समयसीमा निर्धारित की गई है, हालांकि आयोग आवश्यकता पड़ने पर अंतरिम रिपोर्ट भी भेज सकता है।
आयोग का कार्यक्षेत्र और ज़िम्मेदारियाँ
8वें वेतन आयोग को केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतनमान, भत्तों और सेवासंबंधी लाभों का समग्र मूल्यांकन करने और उन्हें मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप ढालने की सिफारिशें सौंपने का कार्य सौंपा गया है। अधिसूचना के अनुसार आयोग निम्नलिखित मुख्य पहलुओं की समीक्षा करेगा:
(a) वेतन संरचना और भत्तों की समीक्षा:
आयोग केंद्र सरकार के निम्नलिखित कर्मचारियों के लिए मौजूदा वेतन ढांचे और सुविधाओं की समीक्षा करेगा:
औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी
अखिल भारतीय सेवाओं (IAS, IPS, IFS आदि) के अधिकारी
रक्षा बलों के सैन्यकर्मी
केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी
भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग (IA&AD)
संसद द्वारा गठित नियामक निकायों (RBI छोड़कर)
सर्वोच्च न्यायालय व संबंधित उच्च न्यायालयों के कर्मचारी
केंद्र शासित प्रदेशों की अधीनस्थ न्यायपालिका के अधिकारी
(b) नए वेतन ढांचे की सिफारिशें:
आयोग ऐसा वेतन ढांचा सुझाएगा जिससे कामकाज में दक्षता, पारदर्शिता, नवाचार और जवाबदेही को बढ़ावा मिले। इसका उद्देश्य सरकारी सेवा को प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के लिए आकर्षक बनाना है। विशेष तौर पर प्रदर्शन आधारित वेतन प्रणाली (Performance-Based Pay) को लागू करने पर खास विचार होगा।
(c) बोनस और प्रोत्साहन:
आयोग मौजूदा बोनस व इंसेंटिव योजनाओं की समीक्षा करेगा तथा इन्हें उत्पादकता और बेहतर प्रदर्शन से जोड़ने के उपाय सुझाएगा, जिससे कर्मचारियों को विशेष उपलब्धि या बेहतर सेवा के लिए पुरस्कृत किया जा सके।
(d) भत्तों की समीक्षा और युक्तिकरण:
वर्तमान भत्तों की पात्रता, शर्तों और राशियों में संशोधन की सिफारिशें देना भी आयोग के कार्यक्षेत्र का हिस्सा है। इसमें महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), परिवहन भत्ता आदि शामिल हैं।
(e) पेंशन प्रणाली और ग्रेच्युटी:
आयोग राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) और एकीकृत पेंशन योजना (UPS) से जुड़े कर्मचारियों के लिए मृत्यु-कम-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (DCRG) की समीक्षा करेगा। साथ ही, ऐसी सिफारिशें भी देगा कि पुरानी पेंशन प्रणाली (OPS) से बाहर के कर्मचारियों को भी न्यायसंगत और संतुलित पेंशन लाभ मिलें।
आर्थिक संतुलन और व्यावहारिकता पर विशेष ध्यान
सरकार द्वारा निर्धारित TOR में आर्थिक संतुलन बनाए रखने की विशेष शर्त जोड़ी गई है। आयोग को अपनी सिफारिशों में देश की आर्थिक स्थिति, राजकोषीय अनुशासन, राज्यों की वित्तीय क्षमता और निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में वेतन संरचना के मानकों को ध्यान में रखना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केंद्र सरकार पर अत्यधिक राजकोषीय भार न पड़े और वेतन ढांचा व्यावहारिक व टिकाऊ रहे।
कर्मचारियों और पेंशनरों की उम्मीदें हरी हुईं
7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं। उसके बाद से केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी 8वें वेतन आयोग की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मौजूदा मुद्रास्फीति, बढ़ती जीवन-यापन की लागत और वेतन व पेंशन में सुधार की मांगों के मद्देनज़र अब इस आयोग के गठन को एक स्वागत योग्य कदम माना जा रहा है।
सरकारी कर्मचारी संगठनों और पेंशनभोगी एसोसिएशनों ने इस कदम का समर्थन किया है, लेकिन साथ ही यह उम्मीद भी जताई है कि आयोग अपनी सिफारिशों में कर्मचारियों के कल्याण और सोशल सिक्योरिटी को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा।
राजनीतिक और आर्थिक मायने
वेतन आयोग का गठन सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम कदम है। 2026 में संभावित आम चुनावों और कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह निर्णय लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वोट बैंक को साधने का प्रयास भी माना जा रहा है।
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से केंद्र के खजाने पर हजारों करोड़ रुपये का भार पड़ सकता है, लेकिन इससे सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों की क्रय शक्ति में व्यापक वृद्धि होगी, जो अंततः अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहित करेगी।
आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का सभी को बेसब्री से इंतजार रहेगा, जो संभवत: 2027 की शुरुआत तक केंद्र सरकार को सौंप दी जाएगी। इसके लागू होने के बाद सरकारी नौकरी एक बार फिर से और अधिक आकर्षक और सम्मानजनक करियर विकल्प बन सकती है।