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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 30 Mar 2025 02:28:18 PM IST
बिहार न्यूज़ - फ़ोटो
Bihar News: बिहार के एक थानेदार की सैलरी से हर महीने 10-10 हजार रुपए काटने का आदेश कोर्ट ने दिया है। कोर्ट के इस सख्त आदेश के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है और थानेदार के साथ साथ जिले के अन्य पुलिसकर्मी भी सकते में हैं। दरअसल, किशोरी से दुष्कर्म के मामले में दस वर्ष में भी जांच पूरी नहीं करने पर मोतीपुर थानाध्यक्ष व विवेचक के वेतन से 10-10 हजार रुपये प्रतिमाह कटौती करने का आदेश वरीय पुलिस अधीक्षक को दिया गया है। कटौती तब तक जारी रहेगी, जब तक अंतिम प्रपत्र विशेष कोर्ट में दाखिल नहीं किया जाता है।
वहीं, यह आदेश अनन्य विशेष कोर्ट (पाक्सो) संख्या-दो ने दिया है। कोर्ट ने वरीय पुलिस अधीक्षक को इस आदेश के अनुपालन की सूचना देने का भी निर्देश दिया है। मोतीपुर थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग छात्रा के पिता ने 16 अक्टूबर 2015 को मोतीपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आवेदन में कहा कि 15 अक्टूबर की सुबह 3.30 बजे उसकी पुत्री शौच के लिए घर से बाहर निकली थी, लेकिन सुबह पांच बजे तक वापस घर नहीं आई। उसके बाद खोजबीन शुरू की, छानबीन के दौरान पड़ोसी गांव का एक व्यक्ति उसकी पुत्री को अपने साथ लेकर आ गया।
पूछताछ के दौरान पुत्री ने बताया कि जब वह शौच के लिए निकली थी तो दो बाइक से गांव के अशोक कुमार राय, रविन्द्र कुमार राय, मुकुंद कुमार उर्फ बाबू साहेब व पप्पू कुमार ने उसका मुंह दबा कर अपहरण कर लिया। उसे बगल के एक गांव स्थित पॉल्ट्री फार्म में ले जाया गया, जहां अशोक कुमार राय ने दुष्कर्म किया। उसके बाद अन्य आरोपितों के साथ उसे घर पहुंचाने आ रहा था कि सड़क से गुजर रहे बगल के गांव के एक व्यक्ति को संदेह हो गया।
व्यक्ति से जब पूछताछ में बताया कि दुष्कर्म के बाद सभी आरोपित उसे छोड़ कर भाग गए। इसके बाद उस व्यक्ति ने किशोरी को घर पहुंचा दिया। पुलिस ने इस मामले में 17 अक्टूबर 2015 को अशोक कुमार राय, मुकुंद कुमार उर्फ बाबू साहेब व पप्पू कुमार राय को गिरफ्तार किया। इन तीनों के विरुद्ध दस जनवरी 2016 को विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। वहीं इस मामले के एक आरोपित रविन्द्र कुमार राय के विरुद्ध पूरक जांच जारी रखी। साथ ही पांच वर्ष पहले विशेष कोर्ट ने थानाध्यक्ष से इस मामले की जांच का प्रगति प्रतिवेदन मांगा, उसका कोई उत्तर नहीं दिया गया।
इस संबंध में थानाध्यक्ष से कारण भी पूछा गया, लेकिन इसका भी कोई उत्तर नहीं मिला। तब विशेष कोर्ट ने इस संबंध में आदेश पारित किया। आदेश के बाद भी थानाध्यक्ष व विवेचक की घोर उपेक्षा के कारण यह मामला नौ वर्षों से पूरक जांच के लिए लंबित है। विशेष कोर्ट ने आदेश की अवहेलना व पूरक जांच पूरी नहीं करने पर मोतीपुर थानाध्यक्ष व विवेचक के वेतन से प्रतिमाह दस-दस हजार रुपये की कटौती होगी, और यह तब तक कटौती होती रहेगी जब तक मामला की अंतिम सुनवाई न हो जाए।