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Success Story: पिता की मौत के बावजूद नहीं हारी हिम्मत, पहले ही प्रयास में पास की UPSC परीक्षा

Success Story: जब इरादे मज़बूत हों और सपना बड़ा हो, तो कोई भी रुकावट रास्ता नहीं रोक सकती।” इस कथन को सच कर दिखाया है. अंजलि सोंधिया (Anjali Sondhia), जो बिना कोचिंग के UPSC की परीक्षा पास कर IAS बन गई है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 22 May 2025 06:36:52 PM IST

Success Story

सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE

Success Story: जब इरादे मज़बूत हों और सपना बड़ा हो, तो कोई भी रुकावट रास्ता नहीं रोक सकती।” इस कथन को सच कर दिखाया है मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के छोटे से गांव चंदरपुरा की अंजलि सोंधिया (Anjali Sondhia) ने, जिन्होंने बिना कोचिंग के पढ़ाई कर पहले ही प्रयास में UPSC IFS (Indian Forest Service) परीक्षा पास कर ली और ऑल इंडिया 9वीं रैंक हासिल की।


अंजलि के पिता स्व. सुरेश सोंधिया एक किसान थे और उनका सपना था कि उनकी बेटी एक दिन बड़ी अफसर बने। दुर्भाग्यवश, कुछ साल पहले बीमारी के कारण उनका निधन हो गया, लेकिन अंजलि ने अपने पिता की इच्छा को अपनी प्रेरणा बना लिया। उन्होंने परिवार की आर्थिक चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई नहीं छोड़ी और अपने लक्ष्य पर डटी रहीं।


अंजलि ने बताया कि उन्होंने किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और सरकारी संसाधनों के जरिए ही IFS की कठिन परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने पूरे समर्पण के साथ सेल्फ स्टडी की, और यही उनकी सफलता की कुंजी बनी। अंजलि की मां ने उन्हें हर मोड़ पर समर्थन और मानसिक संबल दिया।


अंजलि की इस अभूतपूर्व सफलता पर पूरे जिले में खुशी की लहर है। जिला कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा और एसपी आदित्य मिश्रा ने अंजलि को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। क्षेत्र के लोग और गांववाले इस उपलब्धि को गर्व और प्रेरणा का प्रतीक मान रहे हैं।


इस वर्ष UPSC IFS परीक्षा 2024 में कुल 143 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। अंजलि ने जब परिणाम देखा तो वह अपने नाम को अंत तक स्क्रॉल कर ढूंढ रही थीं, लेकिन हैरानी तब हुई जब उनका नाम रिजल्ट लिस्ट के पहले पेज पर ही दिखाई दिया। इसके बाद परिवार में खुशी और भावुकता के मिश्रित भाव उमड़ पड़े।


अंजलि का कहना है कि वे अब देश के पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने जैसे जमीनी कार्यों में अपना योगदान देना चाहती हैं। साथ ही वे ग्रामीण बेटियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं ताकि हर लड़की अपने सपने को सच कर सके। जो सपना आंखों में बसा हो और दिल में जोश हो, वो हर मुश्किल को पार कर जाता है। सिर्फ मेहनत की जरूरत होती है।