Giriraj Singh on Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर पर बोले गिरिराज; सेना ने मां-बहनों के सिंदूर की लाज रखी, पाकिस्तान को मिला करारा जवाब BLA Attack On Pakistan: भारत का साथ देने मैदान में उतरे बलोच लड़ाके, 14 पाकिस्तानी सैनिकों को किया जहन्नुम रवाना Bihar News: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, तीन बार से अधिक फेल होने पर भी परीक्षा दे सकते ये उम्मीदवार Bihar News: इंजीनियरिंग छात्र की सड़क हादसे में मौत के बाद बवाल, छात्रों ने लगाई आग, होम सेंटर की मांग पर अड़े Firing during dance: बार बालाओं के नाच में हर्ष फायरिंग में बुजुर्ग की मौत, दो बच्चे घायल, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप Road Accident: सड़क हादसे में बिहार के प्रसिद्ध डॉक्टर की मौत, बेटे और पत्नी की हालत गंभीर Shashi Tharoor Praise, Operation Sindoor: सिंदूर ऑपरेशन के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर हुए मोदी और सेना के मुरीद KKRvsCSK: MS Dhoni ने बना दिया ऐसा महारिकॉर्ड, जिसे अब कोई नहीं तोड़ सकता, बने ऐसा करने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज Morning routine for stress free life: सुबह की ये 8 आदतें बदल देंगी आपकी ज़िंदगी, बढ़ेगा फोकस और मिलेगी सफलता Mock Drill: बिहार के 6 जिलों में सफल रहा मॉक ड्रिल, समीक्षा के बाद अब है इन जिलों की बारी
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 20 Mar 2025 04:35:39 PM IST
सफलता की कहानी - फ़ोटो google
Success Story: सफलता वक्त मांगती है, लेकिन भारत की इस बेटी ने कम उम्र में ही बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर लिया है। दरअसल, पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही दिव्या त्यागी ने एरोडायनामिक्स की 100 साल पुरानी गणित की एक मुश्किल समस्या को आसान बना दिया है। यह भारतीय मूल की रहने वाली है। दिव्या ने वह कर दिखाया है जो बड़े-बड़े महारथी नहीं कर पाए है। अब इससे विंड टरबाइन डिजाइन करने के नए रास्ते खुल गए हैं।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स कर रही दिव्या ने ब्रिटिश एरोडायनामिक्स एक्सपर्ट हरमन ग्लाउर्ट के काम को और बेहतर बनाया है। ग्लाउर्ट का रिसर्च विंड टरबाइन की मैक्सिमम अटेनेबल पावर कॉएफिशिएंट पर फोकस्ड था। ग्लाउर्ट का मॉडल दक्षता को अधिकतम करता था, लेकिन टरबाइन रोटर पर लगने वाले फोर्स या हवा के दबाव में ब्लेड कैसे मुड़ते हैं जैसे जरूरी फेक्टर्स पर ध्यान नहीं देता था।
दिव्या की उपलब्धि ग्लाउर्ट के काम को और प्रसिद्ध बना दिया है जो उन्होंने टरबाइन पर लगने वाले कुल फोर्सेज पर विचार किया है, जिससे विंड टरबाइन गतिशीलता की समझ अधिक बढती है। साथ ही उन्होंने नकी रिसर्च किया है। उन्होंने श्रेयर ऑनर्स कॉलेज थीसिस के हिस्से के रूप में अपनी यूजी स्टडीज के दौरान पूरा किया, जो विंड एनर्जी साइंस में पब्लिश हुआ था।
वहीं बिजली उत्पादन को मैक्सिमम करने के लिए आइडियल फ्लो कंडीशन का डिटरमिनेशन किया है जो उनका काम विंड एनर्जी टेक्नोलॉजी के भविष्य को बदलने की क्षमता रखता है। उनके काम का दुनिया भर में अगली पीढ़ी के विंड टरबाइनों पर प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने विंड एनर्जी प्रॉडक्शन को बढ़ाने और लागत को कम करने के लिए उनके रिसर्च के महत्व को प्रकाशित किया है। उनकी उपलब्धि की मान्यता में बेस्ट एयरोस्पेस इंजीनियरिंग थीसिस के लिए एंथोनी ई. वोल्क अवॉर्ड जीता, जो पूरी दुनिया में यादगार कर दिया है।