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Success Story: हिन्दी मीडियम से पढ़ाई कर UPSC में हासिल किया 18वां रैंक, किसान के बेटे ने लिख दी सफलता की कहानी

Success Story: आज हम ऐसे युवक की सफलता की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने हिंदी माध्यम से UPSC परीक्षा के चौथे प्रयास में 18वीं रैंक हासिल की.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 13 Apr 2025 06:16:51 PM IST

Success Story

सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE

Success Story: संत कबीर का प्रसिद्ध दोहा हमें यही सिखाता है कि सफलता उन्हीं को मिलती है, जो मेहनत से डरते नहीं हैं। यह बात राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के छोटे से गांव से निकलकर UPSC में 18वीं रैंक हासिल करने वाले रवि कुमार सिहाग ने पूरी तरह सच कर दिखाई है। जिन्होंने चौथे प्रयास में UPSC टॉप 20 में पहुंच गए।


बता दें कि रवि सिहाग एक किसान के बेटे है उन्होंने हिंदी माध्यम से UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास कर देशभर के लाखों हिंदी माध्यम के छात्रों को यह भरोसा दिलाया है कि अगर मेहनत सच्ची हो और हौसले बुलंद हों तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।


गांव से निकलकर देश की सबसे बड़ी परीक्षा तक का सफर

2 नवंबर 1995 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गांव 3 बीएएम, विजयनगर में जन्मे रवि सिहाग एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता रामकुमार सिहाग किसान हैं और माता विमला देवी एक गृहिणी। रवि तीन बहनों के बीच अकेले भाई हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, विजयनगर से पूरी की। 


वहीं, कक्षा 11वीं की पढ़ाई अनूपगढ़ के शारदा स्कूल और 12वीं की पढ़ाई विजयनगर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने अनूपगढ़ के शारदा कॉलेज से हिंदी माध्यम में स्नातक (BA) की डिग्री ली। ग्रेजुएशन के दौरान रवि खेतों में अपने पिता की मदद भी करते थे और साथ ही सिविल सेवा के अपने सपने की नींव भी रख रहे थे।


UPSC के सफर की शुरुआत और असफलताओं से लड़ाई

रवि ने साल 2018 में पहली बार UPSC परीक्षा दी, जिसमें उन्हें 337वीं रैंक हासिल हुई और इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस (IDAS) कैडर मिला। लेकिन उनका सपना IAS बनने का था। उन्होंने हार नहीं मानी और फिर 2019 में दूसरी बार प्रयास किया। इस बार रैंक सुधरकर 317 हो गई और उन्हें इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTS) मिली।


तीसरे प्रयास में, यानी 2020 में वे मुख्य परीक्षा तक तो पहुंचे, लेकिन इंटरव्यू के पहले ही बाहर हो गए। यह एक बड़ा झटका था, लेकिन रवि ने हार मानने के बजाय इससे सीख ली। फिर 2021 में चौथे प्रयास में जबरदस्त वापसी करते हुए उन्होंने 18वीं रैंक हासिल की और IAS अधिकारी बन गए।


हिंदी माध्यम से भी है सफलता संभव – रवि का संदेश

रवि का मानना है कि भाषा कभी भी सफलता में बाधा नहीं बन सकती। उन्होंने कहा, "चाहे आप हिंदी माध्यम से पढ़ाई करें, लेकिन अंग्रेजी समझना जरूरी है। इसका मतलब ये नहीं कि आपको बहुत फर्राटेदार अंग्रेजी बोलनी आनी चाहिए, बल्कि इतना आना चाहिए कि आप इस भाषा में लिखी चीज़ें समझ और लिख सकें।" वे आगे कहते हैं, "यदि आप पूरी मेहनत से इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता।"


रवि सिहाग से सीखने योग्य बातें

लगातार प्रयास करें – असफलताओं से घबराएं नहीं।

मध्यम भाषा को बाधा न बनाएं – जो कुछ भी हो, उसमें श्रेष्ठ बनें।

स्व-अनुशासन रखें – पढ़ाई के प्रति समर्पण और निरंतरता जरूरी है।

सपनों को छोड़ें नहीं – परिस्थितियाँ कैसी भी हों, उन्हें अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश करें।


उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा

रवि सिहाग की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखते हैं। यह कहानी यह साबित करती है कि अगर आपके इरादे मजबूत हैं, तो न केवल आप यूपीएससी जैसी परीक्षा पास कर सकते हैं, बल्कि देश के शीर्ष पदों तक भी पहुंच सकते हैं।