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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 05 Mar 2025 04:36:59 PM IST
Income Tax - फ़ोटो Social Media
भारत में 1 अप्रैल 2026 से एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है, जिसके तहत टैक्स अधिकारियों को अब टैक्स चोरी का शक होने पर व्यक्तियों के डिजिटल अकाउंट तक पहुंचने का अधिकार मिल जाएगा। इस बदलाव के बाद, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट्स, बैंक अकाउंट्स, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म्स तक अधिकारी पहुंच सकते हैं, अगर उन्हें किसी व्यक्ति की अघोषित आय या संपत्ति का संदेह होता है।
यह प्रावधान इनकम टैक्स बिल (Income Tax Bill) के खंड 247 के तहत लागू किया जाएगा, जो अधिकारियों को वर्चुअल डिजिटल स्थानों तक कानूनी पहुंच देने का अधिकार प्रदान करता है। इस बदलाव से टैक्स चोरी की जांच और अघोषित संपत्ति की पहचान करना और भी आसान हो जाएगा।
अब तक इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 132 के तहत, यदि टैक्स अधिकारियों को किसी व्यक्ति की छिपी हुई आय या संपत्ति का संदेह होता था, तो वे फिजिकल एसेट्स की तलाशी ले सकते थे और उन्हें जब्त भी कर सकते थे। अगर आवश्यकता पड़ती थी, तो अधिकारी बंद दरवाजों, तिजोरियों और लॉकर को तोड़कर भी तलाशी ले सकते थे। लेकिन 2026 से यह शक्ति डिजिटल एसेट्स पर भी लागू होगी।
नया कानून अधिकारियों को डिजिटल एसेट्स तक पहुंचने की अनुमति देगा। इसका मतलब है कि टैक्स अधिकारी अब कंप्यूटर, ईमेल, ऑनलाइन बैंक अकाउंट्स और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच सकते हैं। इसके लिए, वे पासवर्ड और सुरक्षा कोड को बदलने का अधिकार भी प्राप्त करेंगे।
वर्चुअल डिजिटल स्पेस को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें निम्नलिखित डिजिटल प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं:
अगर अधिकारियों को लगता है कि टैक्सपेयर्स इनकम या संपत्ति छिपा रहे हैं, तो वे इन डिजिटल अकाउंट्स की जांच कर सकते हैं। इससे टैक्स अनुपालन को मजबूत करने और काले धन पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी।
इस बदलाव के बाद टैक्स चोरी के संदिग्ध व्यक्तियों को डिजिटल जांच का सामना करना पड़ सकता है। यदि अधिकारियों को अघोषित आय का संदेह होता है, तो वे प्राइवेट डिजिटल स्पेस तक पहुंचने के लिए सुरक्षा कोड को ओवरराइड कर सकते हैं।
इस नए प्रावधान का उद्देश्य काले धन को नियंत्रित करना और टैक्स अनुपालन को मजबूती प्रदान करना है, लेकिन इससे गोपनीयता संबंधी चिंताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्सपेयर्स को अपनी संपत्तियों का पूरी तरह से खुलासा करना चाहिए और उचित रिकॉर्ड रखना चाहिए ताकि उन्हें कानूनी जांच से बचने में मदद मिले।