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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 01:32:40 PM IST
दुकानदार घटा नहीं रहे दाम - फ़ोटो GOOGLE
GST 2.0: सरकार ने GST 2.0 के तहत एक बड़ा फैसला लेते हुए टैक्स दरों में महत्वपूर्ण कटौती की है, जिससे आम लोगों को राहत देने का प्रयास किया गया है। जीएसटी दरों को पहले जहां चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) में बांटा गया था, वहीं अब इसे सिर्फ दो स्लैब (5% और 18%) में सीमित किया गया है। इस फैसले के तहत अधिकांश जरूरी और दैनिक उपयोग की वस्तुएं अब 5% स्लैब में लाई गई हैं, जिससे उनके दामों में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
सरकार का दावा है कि इस नई व्यवस्था से 99% से अधिक आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के दाम घटे हैं, और इससे उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। लेकिन जमीनी स्तर पर तस्वीर थोड़ी अलग दिख रही है। कई रिपोर्ट्स और उपभोक्ता फीडबैक में सामने आया है कि खुदरा दुकानदारों और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स ने अभी तक इन वस्तुओं के दामों में कटौती नहीं की है, जबकि टैक्स पहले ही कम हो चुका है।
इस अंतर को लेकर लोगों की शिकायतों की बाढ़ आ गई है। उपभोक्ता सवाल उठा रहे हैं कि जब टैक्स दरें कम हो चुकी हैं, तो फिर वही उत्पाद अब भी पुराने रेट पर क्यों बिक रहे हैं? लोगों की बढ़ती नाराज़गी और फीडबैक को देखते हुए सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, ताकि उपभोक्ता सीधे शिकायत दर्ज करा सकें।
उपभोक्ता अगर महसूस करते हैं कि उनसे ओवरचार्ज किया जा रहा है या उन्हें जीएसटी में कटौती का लाभ नहीं मिल रहा, तो टोल-फ्री नंबर 1915, व्हाट्सएप नंबर 8800001915 और ऑनलाइन पोर्टल INGRAM (Integrated Grievance Redressal Mechanism) पर जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
साथ ही, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) की निगरानी में ये शिकायतें दर्ज की जाएंगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह मूल्य निर्धारण की निगरानी कर रही है और उपभोक्ताओं को जीएसटी में कटौती का प्रत्यक्ष लाभ मिलना चाहिए। इसके साथ ही सरकार ने कंपनियों और व्यापारियों से अपील की है कि वे तुरंत नई दरों के अनुसार दामों में पारदर्शिता लाएं। कई बड़ी कंपनियों ने स्वेच्छा से दाम घटाने की घोषणा भी कर दी है।
सरकार ने यह भी दोहराया है कि जीएसटी सुधार का असली मकसद उपभोक्ताओं को राहत देना है, न कि व्यापारियों के मुनाफे को बढ़ाना। ऐसे में अगर कोई व्यापारी या प्लेटफॉर्म जीएसटी कटौती के बावजूद पुराने दाम वसूल रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकार का यह भी कहना है कि उपभोक्ताओं को सिर्फ शिकायत का हक ही नहीं, बल्कि यह उनका कर्तव्य भी है कि वे ऐसी किसी भी अनियमितता के खिलाफ आवाज उठाएं। टैक्स में दी गई राहत तभी सार्थक होगी जब उसका लाभ अंतिम ग्राहक तक पहुंचे।