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12-Mar-2025 02:36 PM
Water Crisis: बिहार में जल संकट की आहट, 2050 तक घट जाएगी जल उपलब्धता बिहार में भविष्य में गहराते जल संकट के संकेत मिल रहे हैं। जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधानसभा में बताया कि वर्ष 2050 तक बिहार में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घटकर मात्र 635 घन मीटर रह जाएगी। वर्तमान में यह 1006 घन मीटर है, जबकि 2001 में 1594 घन मीटर थी और 2017 में 1213 घन मीटर पर पहुंच गई थी। जल संसाधनों के विकास, संरक्षण और बेहतर प्रबंधन की चुनौती सरकार के सामने है, जिसे गंभीरता से लिया जा रहा है।
प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में लगातार गिरावट
जल संसाधन विभाग नेशनल वाटर मिशन (NWM) के तहत बिहार में जल संसाधनों की स्थिति, विकास और प्रबंधन का आकलन करवा रहा है, जिसमें IIT पटना के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2001 में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1594 घन मीटर थी, जो 2017 में घटकर 1213 घन मीटर रह गई। यह अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक यह 1006 घन मीटर और 2050 तक सिर्फ 635 घन मीटर रह जाएगी, जो गंभीर जल संकट की श्रेणी में आता है। यह स्थिति खासकर उन इलाकों में अधिक चिंताजनक होगी, जहां जनसंख्या घनत्व ज्यादा है।
भूजल स्तर में सुधार, 929 वर्ग किमी क्षेत्र सुरक्षित
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जल-जीवन-हरियाली अभियान और सात निश्चय-2 जैसी योजनाओं से भूजल स्तर में सुधार हुआ है। जल शक्ति मंत्रालय की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 929 वर्ग किमी नया क्षेत्र सुरक्षित भूजल स्तर में आ गया है। वर्ष 2023 में यह 81,260 वर्ग किमी था, जो 2024 में बढ़कर 82,189 वर्ग किमी हो गया है।
सरप्लस जल को संरक्षित और प्रबंधन करने की योजना
बिहार सरकार बाढ़ के समय अतिरिक्त जल को जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में भेजने की योजना पर कार्य कर रही है। पहले चरण में 4515 करोड़ की लागत से गया, बोधगया, राजगीर और नवादा में गंगा जल की आपूर्ति की जा रही है। दूसरे चरण में 1110 करोड़ की लागत से मधुवन जलाशय का निर्माण किया जा रहा है, जिससे बिहार शरीफ को भी गंगा जल उपलब्ध कराया जाएगा।