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PATNA: बिहार में खानदानी या पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में विवाद की बात आम है. जबकि राज्य सरकार ने सिर्फ 100 रूपये में पारिवारिक संपत्ति के रजिस्टर्ड बंटवारे का प्रावधान कर रखा है. लेकिन लोग जानकारी के अभाव में सरकार की इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. जानिये पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनानी होगी.
दरअसल बिहार में पहले पारिवारिक संपत्ति के रजिस्टर्ड बंटवारे के लिए काफी ज्यादा शुल्क देना पड़ता था. लेकिन बाद में नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव किया है. सरकार ने पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए स्टांप शुल्क को काफी कम कर रखा है. इसके लिए सौ रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है.
पारिवारिक सूची होना जरूरी
खानदानी या पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए सरकार ने शुल्क में कमी करने के साथ ही इसमें नये प्रावधान भी जोड़े हैं. रजिस्टर्ड बंटवारे के लिए पारिवारिक सदस्यता सूची का होना अनिवार्य कर दिया गया है. बिहार के ज्यादातर लोगों को पूरी प्रक्रिया की जानकारी ही नहीं है. लिहाजा, सरकार की ओर से स्टांप शुल्क में कमी लाए जाने के बावजूद रजिस्टर्ड बंटवारे को लेकर लोग अभिरूचि नहीं दिखा रहे हैं.
ऐसे बनेगी पारिवारिक सदस्यता सूची
दरअसल बंटवारे के सरकारी दफ्तर में रजिस्ट्रेशन के लिए पहली शर्त ये है कि पारिवारिक सदस्यता सूची होनी चाहिये. सीओ कार्यालय से पारिवारिक सदस्यता सूची बनाया जा सकता है. सीओ के पास आवेदन देने के बाद राजस्व कर्मचारी उसकी जांच करेंगे और फिर पारिवारिक सदस्यता सूची को मंजूरी दी जायेगी.
पारिवारिक सदस्यता सूची तैयार होने के बाद रजिस्टर्ड बंटवारे के लिए संबंधित लोगों को रजिस्ट्री ऑफिस यानि निबंधन कार्यालय में जाना होगा. सिर्फ 100 रूपये के स्टांप पेपर पर बंटवारे का मजमून तैयार किया जायेगा. रजिस्ट्री ऑफिस में बंटवारे में शामिल सभी लोगों को अपने आधार कार्ड के साथ मौजूद रहना है. रजिस्ट्री ऑफिस में कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सरकारी कागजातों में बंटवारा का ब्योरा दर्ज हो जायेगा.
सीओ कार्यालय से हो रही देरी
सरकार ने पारिवारिक बंटवारे की इस योजना को लागू कर रखा है लेकिन राज्य में साल में बमुश्किल 100-200 रजिस्टर्ड बंटवारा हो पा रहा है. दरअसल, इसके पीछे अंचल कार्यालय का हाल भी जिम्मेवार है. बिहार में अंचल कार्यालय में काम कराने के लिए जाने वालों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ये जगजाहिर है.
बिहार के आम लोगों का मानना है कि अंचल कार्यालयों में बिना चढ़ावा के कोई कागज एक इंच भी नहीं बढता है. ऐसे में पारिवारिक सदस्यता सूची बनाने के लिए किन मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, ये बताने की जरूरत नहीं है. लिहाजा पारिवारिक सदस्यता सूची तैयार नहीं हो रही है औऱ ना ही रजिस्टर्ड बंटवारा हो पा रहा है.