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Bihar News: राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल का निधन, इस अस्पताल में ली अंतिम सांस

Bihar News: पूर्व बिहार विधान परिषद के सदस्य कामेश्वर चौपाल लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 07 Feb 2025 08:36:07 AM IST

 Kameshwar Chaupal fb

कामेश्वर चौपाल की फाइल फोटो - फ़ोटो Kameshwar Chaupal fb

Kameshwar Chaupal : राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और पूर्व बिहार विधान परिषद के सदस्य कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली है।कामेश्वर चौपाल पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। कामेश्वर चौपाल ने ही राम मंदिर  निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी।संघ ने उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा दिया था।


कामेश्वर चौपाल का जन्म बिहार प्रदेश के सुपौल जिला अंतर्गत कोसी तटबंध के बीच बसे गांव कमरैल में हुआ है। इन्होंने नौ नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। इस समय देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हजारों साधु-संतों और लाखों कारससेवक इसमें जुटे थे।  उस वक्त वे विहिप के संयुक्त सचिव थे। बाद में साल 2002 में विधान पार्षद बनाए गए और वे साल 2014 तक विधान पार्षद रहे। वे बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं। 


कामेश्वर चौपाल के राजनीतिक जीवन की चर्चा करें तो 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था, हालांकि तब वह हार गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ सुपौल से चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। फरवरी 2020 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में बिहार से भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया था।


मालूम हो कि रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर चौपाल ने ही 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। उस समय वह पूरे देश में चर्चा के केंद्र में थे। विहिप में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के नाते कामेश्वर चौपाल भी आयोध्या में मौजूद थे। तब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा। चौपाल इसके पहले तक अनजान थे। तब चौपाल ने बताया था कि हालांकि उन्हें यह पता था कि धर्मगुरुओं ने किसी दलित से ईंट रखवाने का निर्णय लिया है, लेकिन वे खुद होंगे, यह उनके लिए संयोग रहा। शिलान्यास के बाद से ही कामेश्वर चौपाल चौपाल का नाम पूरे देश में छा गया।


इधर, शिलान्यास प्रकरण के बाद वे विधिवत भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए। कामेश्वर चौपाल की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने साल 1991 में रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि वे चुनाव हार गए थे। इसके बाद 1995 में वे बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़े पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2014 तक वे विधान परिषद के सदस्य रहे। साल 2009 में हुए चुनाव में उन्होंने रोटी के साथ राम का नारा लगाया।