विजय सिन्हा के समर्थन में उतरे राजस्व सेवा संघ, पदाधिकारियों की चल और अचल संपत्ति जांच कराने की मांग

प्रदर्शनकारियों ने उस पत्र की भाषा पर कड़ा ऐतराज जताया जो उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रम के विरोध में जारी किया गया था। मंच ने इसे सीधे तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए दोषी अधिकारियों पर अविलंब कार्रवाई की मांग की।

1st Bihar Published by: MANOJ KUMAR Updated Tue, 30 Dec 2025 02:38:36 PM IST

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भ्रष्टचारियों के खिलाफ प्रदर्शन - फ़ोटो REPORTER

MUZAFFARPUR: भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत मंगलवार को मुजफ्फरपुर समाहरणालय परिसर में भारी गहमागहमी रही। भ्रष्टाचार विरोधी मंच के बैनर तले आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं ने बिहार राजस्व सेवा संघ (बिहार स्टेट सर्विस फेडरेशन) से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपना विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन के दौरान आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने संघ के खिलाफ पोस्टर और बैनर जलाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की।


भ्रष्टाचार और शोषण के गंभीर आरोप

प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने आरोप लगाया कि संघ से जुड़े कुछ पदाधिकारी और कर्मचारी अपनी मनमानी कार्यशैली और भ्रष्टाचार के जरिए आम जनता का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। मंच के सदस्यों ने कहा कि सरकारी तंत्र में बैठे कुछ लोग जनसेवा के बजाय निजी स्वार्थ को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे गरीब और लाचार जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।


संपत्ति और कॉल डिटेल की जांच की मांग

इस मौके पर मंच द्वारा एक सामूहिक घोषणापत्र पढ़ा गया, जिसमें बिहार सरकार से कड़े कदम उठाने की अपील की गई। प्रदर्शनकारियों ने मांग किया है कि बिहार राज्य सेवा संघ के सभी संदिग्ध पदाधिकारियों की चल-अचल संपत्ति की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। इसके साथ ही, भ्रष्टाचार की कड़ियों को जोड़ने के लिए उनके निजी मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) खंगालने की भी मांग उठाई गई, ताकि पर्दे के पीछे चल रहे गठजोड़ का खुलासा हो सके।


उपमुख्यमंत्री के जनसंवाद का समर्थन और आचार संहिता का मुद्दा

भ्रष्टाचार विरोधी मंच ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा चलाए जा रहे ‘जनसंवाद-जनता दरबार’ कार्यक्रम का पुरजोर समर्थन किया। मंच ने इसे जनहित में एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इससे अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने उस पत्र की भाषा पर कड़ा ऐतराज जताया जो उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रम के विरोध में जारी किया गया था। मंच ने इसे सीधे तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए दोषी अधिकारियों पर अविलंब कार्रवाई की मांग की।


व्यवस्था में सुधार की मांग

प्रदर्शन के दौरान स्थानीय अंचल कार्यालयों की बदहाली का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा। कार्यकर्ताओं ने मांग की कि अंचल कार्यालयों और राजस्व कर्मचारियों के हल्का क्षेत्रों में उनके अनिवार्य आवास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मंच का कहना है कि कर्मचारी अपने कार्यक्षेत्र से दूर रहते हैं, जिसके कारण आम लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए बार-बार चक्कर काटने पड़ते हैं और इसी का फायदा उठाकर रिश्वतखोरी को बढ़ावा दिया जाता है।


आंदोलन तेज करने की चेतावनी

भ्रष्टाचार विरोधी मंच ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार और जिला प्रशासन ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन केवल मुजफ्फरपुर तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले दिनों में इस विरोध प्रदर्शन को पड़ोसी जिलों और पूरे राज्य स्तर पर विस्तार दिया जाएगा। प्रदर्शन में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिन्होंने एक स्वर में भ्रष्टाचार मुक्त शासन की शपथ ली।