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1st Bihar Published by: MANOJ KUMAR Updated Thu, 13 Feb 2025 12:29:56 PM IST
शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला - फ़ोटो REPOTER
Bihar School News:बिहार हमेशा से ही अपने अजीबोगरीब कारनामों को लेकर सुर्ख़ियों बना रहता है। यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। ऐसे में अब एक मामला शिक्षा विभाग ने जुड़ा हुआ है। खबर यह है कि शिक्षा विभाग के तरफ से सूबे के एक ऐसे स्कूल में समरसेबल कर दिया गया ,जहां पहले तो स्कूल की बिल्डिंग नहीं है और दूसरी अहम बात यह है कि यहां बिजली का कनेक्शन ही नहीं है। अब आप भी सोच रहे होंगे की जब बिजली और स्कूल की बिल्डिंग हैं ही नहीं तो समरसेबल की जरूरत क्या है ? तो आइए बताते हैं कि पूरी कहानी है।
आपने अक्सर यह कहते हुए लोगों को सुना होगा की भैया बिहार में कुछ भी संभव हैं यहां जीवित लोगों को भी मुर्दा बना दिया जाता है और मुर्दे को भी जीवित बता दिया जाता है। तो ऐसे में यदि बिना बिजली कनेक्शन के समरसेबल कर दिया जाए तो अधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह यह कि यह सब कुछ बिहार के लिए बेहद आम बात है। ऐसे में ताजा मामला मुजफ्फरपुर जिले का है,जहां बिना किसी बिजली कनेक्शन और स्कूल की बिल्डिंग के ही समरसेबल कर दिया गया है। यहां पानी की टंकी शौचालय की छत्त पर गया है। लेकिन, सवाल तो यह है कि बिना बिजली कनेक्शन के इस टंकी में पानी कैसे जाएगी ?
बताया जा रहा है कि जिले के औराई के 190 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयो में से पांच विद्यालय परियोजना बांध के अंदर है। यह सभी विद्यालय ऐसे जगह पर हैं जहां बरसात के मौसम में बागमती नदी बाढ़ कहर दिखाती है। उस दौरान हर तरफ से यह इलाका पानी से डूबा रहता है। ऐसे में इस इलाके में समरसेबल का सुरक्षित रह जाना बेहद ही मुश्किल हैं। लेकिन,इस जानकारी के बाद भी यहां समरसेबल कर दिया गया है। इसके बाद यह मामला साफ़ संकेत करा रहा है कि राशी के गबन के लिए चंद लोगों द्वारा इस तरह के काम किए गए हैं। इस इलाके के पांच में से तीन स्कूल में इस तरह के काम किए गए हैं।
जबकि यह स्कूल वर्तमान समय में भवन एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं एवं खुद के विस्थापन की राह देख रहा है। लेकिन यहां संवेदक द्वारा समरसेबल लगा दिया गया। इसमें भी सबसे अहम बात यह है कि इन पांच में से एक स्कूल राजकीय प्राथमिक विद्यालय हरणी टोला में तो अभी तक बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। इसके बाद भी राशि गबन के यहां समरसेबल कर दिया गया है।
इधर, विद्यालय की प्रधान शिक्षिका रिजवाना ने बताया कि वह इस स्कूल में समरसेबल नहीं लगाने का अनुरोध संवेदक से रही थी क्योंकि उनका विद्यालय विस्थापित भी नहीं हुआ है और दूसरी बात है यहां विद्युत कनेक्शन भी नहीं है। लेकिन संवेदक द्वारा शौचालय लगाने एवं विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने का हवाला देकर उनसे फॉर्म पर दस्तखत करवा लिए गए और समरसेबल लगा दिया गया।
इधर, अब सवाल यह है कि बिना विद्युत कनेक्शन के आखिर वहां समरसेबल की गुणवत्ता की जांच कैसे की गई और राशि की निकासी भी कर ली गई। वहीं दूसरी ओर उत्क्रमित मध्य विद्यालय मधुबन प्रताप मे समर्सिबल लगाया गया है जबकि विद्यालय फुस के भवन में चल रहा है। पानी की टंकी को शौचालय की छत पर डाला गया है। वही परियोजना बांध के अंदर एक विद्यालय की प्रधान शिक्षिका ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि संवेदक द्वारा उन्हें बतौर कमीशन राशि का भी ऑफर दिया गया था ,लेकिन उन्होंने विद्युत कनेक्शन नहीं होने का हवाला देकर समरसेबल लगाने से संवेदक को मना कर दिया गया।