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Shravani Mela 2025: मुंगेर में श्रावणी मेले से पहले अव्यवस्था का बोलबाला, श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल

Shravani Mela 2025: 11 जुलाई से शुरू होने वाले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले की तैयारियों को लेकर मुंगेर जिला प्रशासन जहां बड़े-बड़े दावे कर रहा है, वहीं जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 10 Jul 2025 12:35:28 PM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Shravani Mela 2025: 11 जुलाई से शुरू होने वाले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले की तैयारियों को लेकर मुंगेर जिला प्रशासन जहां बड़े-बड़े दावे कर रहा है, वहीं जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। प्रशासन द्वारा लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कांवरिया पथ पर अधूरी और लापरवाह तैयारियां मेले की गरिमा पर सवाल खड़े कर रही हैं।


श्रावणी मेला, जो कि जुलाई से अगस्त तक चलता है, बिहार के सुल्तानगंज से लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम तक लगभग 109 किलोमीटर लंबी कांवर यात्रा का प्रमुख हिस्सा है। इस रूट में मुंगेर जिला के 26 किलोमीटर क्षेत्र कमराएं से कुमरसार तक में कांवरिया पथ पड़ता है। यहां कांवरियों की सुविधा हेतु हर साल प्रशासन द्वारा विशेष तैयारियां की जाती हैं।


कांवरियों के चलने के लिए गंगा बालू सही ढंग से नहीं बिछाया गया है, जिससे यात्रा असहज हो सकती है। कई जगहों पर कुर्सियाँ टूटी पड़ी हैं, कांवर रखने के स्टैंड भी जर्जर हैं। स्टैंड और कुर्सियों के आस-पास झाड़ियों और घास-फूस का अंबार है, जिससे सांप-बिच्छुओं के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता। PHD विभाग द्वारा लगाए गए चांपा नल खराब हैं। कई जगहों पर नल से पानी निकलना तो दूर, उन्हें चलाना ही मुश्किल हो रहा है।


नालियों की सफाई नहीं हुई है, और कई जगहों पर नाले बजबजा रहे हैं, जिससे बदबू और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। शौचालयों की स्थिति भी खराब पाई गई, जिससे महिला कांवरियों को काफी असुविधा हो सकती है। कांवरिया पथ पर दुकान लगाने वाली एक महिला दुकानदार ने कहा, सरकार करोड़ों की बात करती है, लेकिन ज़मीन पर कुछ भी नहीं बदला। बारिश के बाद कीचड़ और बदबू में रहना मुश्किल है।


कुंदन कुमार, जो सालों से कांवरियों की सेवा के लिए दुकान लगाते हैं,  उन्होंने बताया कि प्रशासन सिर्फ मेले के नाम पर पैसा खर्च करने की खानापूर्ति करता है। असल में सुविधाएं सिर्फ फाइलों में दिखती हैं। इस बार मेले को “विश्व स्तरीय” बनाने के नाम पर लाखों रुपये की योजनाओं की बात की जा रही है, लेकिन न तो पेयजल, न स्वच्छता और न ही सुरक्षा की स्थिति संतोषजनक दिख रही है। 


यह न सिर्फ श्रावण महीने की धार्मिक आस्था का अपमान है, बल्कि श्रद्घालुओं की जान से खिलवाड़ भी है। जरूरत है कि जिला प्रशासन जमीनी सच्चाई का संज्ञान ले और तत्काल प्रभाव से कांवरिया पथ पर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करे। अन्यथा आने वाले दिनों में भारी भीड़ के बीच यह अव्यवस्था एक बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकती है।

रिपोर्ट- इम्तियाज खान