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Madhepura News: मधेपुरा एसपी ने पुलिस के 31 अधिकारियों के खिलाफ दर्ज करा दिया FIR, डीजीपी के निर्देश पर हुई कार्रवाई से हड़कंप

Madhepura News: दूसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाली पुलिस अब अपने ही विभाग के अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर रही है. मधेपुरा में ऐसे 31 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इन सब पर बड़ी लापरवाही का आरोप है.

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 21 Feb 2025 03:48:42 PM IST

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प्रतिकात्मक - फ़ोटो google

Madhepura News: बिहार की मधेपुरा पुलिस ने अपने ही 31 पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है. DGP विनय कुमार के निर्देश पर हुई इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है. एफआईआर के बाद ऐसे पुलिसकर्मियों के निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है.


क्राइम फाइल दबा कर बैठे अधिकारियों पर कार्रवाई

डीजीपी के आदेश के बाद मधेपुरा के एसपी ने अपने महकमे को दुरूस्त करने की कवायद शुरू की है. ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो आपराधिक मामलों का अनुसंधान पूरा करने के बजाय फाइल दबा कर ही बैठक गये. उन्हें पहले वार्निग दी गयी थी, फिर भी नहीं संभले.


31 पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर 

दरअसल बिहार के डीजीपी ने आपराधिक मामलों की छानबीन में देरी पर गहरी नाराजगी जतायी है. डीजीपी ने सभी एसपी को ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जो अनुसंधान की फाइल दबा कर बैठे हैं. डीजीपी के आदेश बाद मधेपुरा एसपी ने समीक्षा की तो पुलिस के कारनामे सामने आ गये.


आलम ये है कि जिले के सिर्फ थाना सदर थाना की समीक्षा में 31 पुलिस पदाधिकारियों की लापरवाही सामने आई. आपराधिक मामलों का अनुसंधान करने की जिम्मेवारी जिन अधिकारियों को दी गयी थी, वे 10-12 साल से मामले को दबा कर बैठे थे. एसपी की समीक्षा में इसकी जानकारी मिलने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जिन 31 पर एफआइआर किया गया है.


36 केस दबा कर बैठा एक दारोगा

मधेपुरा के सदर थाने में दर्ज एफआईआर की जानकारी देते हुए थानाध्यक्ष विमलेंदु कुमार ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5), 3(5) के तहत केस संख्या-230/25 दर्ज किया गया है. एफआईआर में कहा गया है  कि जिन पुलिस पदाधिकरियों के पास केस लंबित हैं उन्हें कई बार पत्र लिखकर कांड का प्रभार सौंपने या फिर फिर अनुसंधान को पूरा करने को कहा गया लेकिन न तो किसी ने प्रभार सौंपा और न ही केस के निष्पादन की दिशा में कोई कार्रवाई की.


मधेपुरा सदर थाने में 2013 से 2019 तक के करीब 100 ऐसे केस हैं, जिनका अनुसंधान अब तक पूरा नहीं हुआ है. एक सब इंस्पेक्टर तो पूरे 36 केस को दबा कर बैठा है. एसआइ महेश कुमार यादव के पास तीन दर्जन केस लंबित है. 2013 से लेकर 2017 तक के इन लंबित मामलों का अनुसंधान पूरा करने में महेश कुमार यादव ने कोई रुचि नहीं दिखाई. इसी तरह एसआइ नन्दकिशोर सिंह के पास एक दर्जन केस पेंडिंग है. कई दूसरे पुलिस अधिकारियों के पास भी दो-चार केस लंबित है.


जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया है उनमें सहरसा यातायात थाना के थानेदार रविश रंजन और सुपौल जिले में थानेदारी कर रहे सियावर मंडल शामिल हैं. 


इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ एफआइआर

मधेपुरा सदर थाने में जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी है उनमें   एसआइ महेश कुमार यादव,  एसआइ रविश रंजन,  एसआइ गोपाल कृष्ण,  एएसआइ विन्देश्वर राम,  एएसआइ प्रेमचन्द्र पासवान, एसआइ सियावर मंडल, एसआइ किशोर कुमार, एसआइ उमेश पासवान, एएसआइ अनिल कुमार सिंह, एसआइ अनंत कुमार, एसआइ पशुपति सिंह, एएसआइ गणेश प्रसाद,  एसआइ महेश कुमार यादव,  एएसआइ विनोद कुमार मिश्रा,  एसआइ राजेश चौधरी,  एसआइ रामाश्रय शर्मा,  एएसआइ सुभाष चंद्र नारायण,  एसआइ लक्ष्मण राम,  एसआइ अशोक कुमार साह,  एसआइ प्रवीण ठाकुर,  एएसआइ मदन मोहन सिंह,  एसआइ नितेश कुमार, एएसआइ नंदकिशोर सिंह, एएसआइ चंदेश्वर राम,  एसआइ सत्येंद्र नारायण सिंह,  एसआइ सुरेश राम,  एसआइ महेश कुमार रजक, एसआइ पशुराम दास,  एसआइ गंगा सागर, एसआइ रविंद्र प्रसाद सिंह और एसआइ नवीन कुमार सिंह शामिल हैं.