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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 18 Feb 2025 07:57:24 AM IST
Maha Kumbh - फ़ोटो Maha Kumbh
महाकुंभ में शामिल होने के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंच रहे हैं, लेकिन बिहार के सात युवकों ने वहां जाने के लिए ऐसा तरीका अपनाया, जिसने सभी को हैरान कर दिया। बक्सर जिले के कम्हरिया गांव के इन युवकों ने ट्रेनों और सड़कों की भीड़ से बचने के लिए मोटर बोट का सहारा लिया और गंगा नदी के रास्ते 550 किलोमीटर का सफर पूरा कर प्रयागराज पहुंचे। इनका यह अनोखा सफर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
मनु चौधरी, सुमंत, संदीप, सुखदेव, आदू, रवींद्र और रमेश नाम के इन सात दोस्तों ने प्रयागराज जाने की योजना बनाई, लेकिन इन्हें डर था कि ट्रेन और सड़क पर भारी भीड़ और जाम की समस्या हो सकती है। तभी इनके दिमाग में एक नया विचार आया- नाव से यात्रा की जाए! सभी ने इस विचार को स्वीकार कर लिया और तुरंत इसकी तैयारी शुरू कर दी।
11 फरवरी को इन दोस्तों ने अपनी यात्रा शुरू की और 13 फरवरी को प्रयागराज के संगम तट पर पहुंचकर डुबकी लगाई। इसके बाद 16 फरवरी की रात 10 बजे तक ये सकुशल अपने घर लौट आए।
मनु चौधरी ने बताया कि यह फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया। सभी ने पहले पूरी प्लानिंग की ताकि रास्ते में कोई दिक्कत न हो। सबसे पहले एक मजबूत नाव चुनी गई, जिसमें दो मोटर लगाई गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि अगर एक मोटर खराब हो जाए तो दूसरी चलती रहे। इसके अलावा नाव पर गैस चूल्हा, सिलेंडर, राशन, पानी और अन्य जरूरी सामान भी रखा गया।
सुमंत ने बताया कि रास्ते में उन्होंने गूगल मैप का इस्तेमाल किया, जिससे सही दिशा में यात्रा करना आसान हो गया। रात में वे सुरक्षित रास्ता अपनाकर आगे बढ़ते रहे। इस दौरान दो लोग नाव चलाते थे, जबकि बाकी लोग आराम करते थे। उन्होंने 20 लीटर पेट्रोल, सब्जी, आटा, चावल और बिस्तर की पूरी तैयारी कर रखी थी, लेकिन फोन के लिए पावर बैंक ले जाना भूल गए, जिससे कई बार नेटवर्क से कटते रहे। मनु ने हंसते हुए कहा, "महाकुंभ के लिए सब कुछ तैयार था, लेकिन फोन चार्ज करने का जुगाड़ करना भूल गए."
संदीप ने बताया कि गंगा नदी में यात्रा करना आसान काम नहीं है। अगर कोई पेशेवर नाविक नहीं है, तो उसे ऐसी यात्रा से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे सभी तैरना जानते थे और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते थे। चूंकि लगातार चलने से मोटर गर्म हो जाती थी, इसलिए उसे हर 5-7 किलोमीटर पर बंद करके ठंडा किया जाता था और नाव को हाथ से चलाया जाता था।
जब सुमंत से पूछा गया कि इस अनोखी यात्रा पर उनका कितना खर्च हुआ, तो उन्होंने बताया कि नाव, पेट्रोल, खाने-पीने का खर्च करीब 20,000 रुपये था। लेकिन बदले में उन्हें एक रोमांचकारी यात्रा का अनुभव मिला, जिसे वे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे।