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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 20 May 2025 02:43:48 PM IST
वन्दे भारत एक्सप्रेस - फ़ोटो GOOGLE
Vande Bharat Express: हावड़ा-भागलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस को भागलपुर से सुबह के समय रवाना करने की रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना को बड़ा झटका लगा है। इसकी वजह यह है कि वंदे भारत ट्रेन के मेंटेनेंस के लिए भागलपुर कोचिंग यार्ड में 25 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही नई वाशिंग पिटलाइन में तकनीकी खराबी हो गई है।
वाशिंग पिटलाइन में 7 माह पहले लगाए गए 35 से अधिक वाटर वॉल्व अब खराब हो चुके हैं। इनकी जगह नए वॉल्व लगाए जा रहे हैं, जिससे पूरे सिस्टम का सेट बदलना पड़ रहा है। इस कार्य पर लगभग 20 लाख रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। तकनीकी मरम्मत का कार्य दिल्ली की कोणार्क एजेंसी द्वारा किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि पहले लगाए गए वॉल्व वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड और अत्याधुनिक ट्रेन के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे। लिहाजा, पूरे सिस्टम को बदलना ही एकमात्र विकल्प रह गया है।
इस वाशिंग पिटलाइन का निर्माण कार्य वर्ष 2020 में ही शुरू किया गया था और इसे दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाना था। निर्माण की जिम्मेदारी एचओआईटी नामक एजेंसी को दी गई थी, लेकिन चार साल बाद भी यह प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है। इससे रेलवे की योजना और निष्पादन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वर्तमान में भागलपुर यार्ड में तीन वाशिंग पिटलाइन और तीन सिकलाइन मौजूद हैं, जहां विक्रमशिला, अंग, अमरनाथ, वनांचल एक्सप्रेस समेत एक दर्जन ट्रेनों का मेंटेनेंस किया जाता है। एक ट्रेन की सफाई और जांच में लगभग छह घंटे लगते हैं।
सीमित पिटलाइन की वजह से कई बार ट्रेनों को प्लेटफॉर्म पर रोका जाता है या शंटिंग यार्ड भेजा जाता है, जिससे समय, स्टाफ और संसाधनों की बर्बादी होती है। नई पिटलाइन चालू होने के संभावित फायदे, वाशिंग पिटलाइन की संख्या बढ़कर चार हो जाएगी। वंदे भारत एक्सप्रेस समेत सभी ट्रेनों का मेंटेनेंस अधिक तेज़ी और गुणवत्ता से हो सकेगा। भविष्य में नई ट्रेनों के संचालन की संभावनाएं बढ़ेंगी। साहिबगंज-भागलपुर-किऊल रेलखंड के यात्रियों को बेहतर और तेज़ रेल सेवा मिलेगी। प्लेटफॉर्म की उपलब्धता बेहतर होगी, जिससे ट्रेनों की समयबद्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।
वंदे भारत जैसी हाई-टेक ट्रेन के सफल संचालन के लिए बुनियादी ढांचे का दुरुस्त होना जरूरी है। रेलवे को चाहिए कि इस तरह के तकनीकी खामियों को पहले से पहचानकर, निर्माण एजेंसियों की जवाबदेही तय करे, ताकि ऐसे प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे हों और यात्रियों को अपेक्षित सुविधा मिल सके।