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भारत में पिछले कुछ दिनों से भूकंप के झटकों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। चिंता की बात यह है कि ये भूकंप ज्यादातर सुबह के समय आ रहे हैं। शुक्रवार को बिहार में आए भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है, लेकिन इससे पहले भी दिल्ली-एनसीआर, असम और अन्य राज्यों में झटके महसूस किए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लगातार भूकंप क्यों आ रहे हैं? क्या यह किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा की चेतावनी है?
हाल के भूकंपों में एक खास पैटर्न देखा गया है। 17 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर में सुबह 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, 27 फरवरी को असम के मोरीगांव जिले में सुबह 5.0 तीव्रता का झटका महसूस किया गया और 28 फरवरी को बिहार और नेपाल में सुबह-सुबह कंपन हुआ। लगातार आ रहे भूकंपों का एक ही समय पर महसूस किया जाना एक रहस्यमयी पहेली बन चुका है। क्या यह टेक्टोनिक प्लेटों में किसी बड़े बदलाव का संकेत है?
भारत तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है, जिससे यहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। इस वजह से दिल्ली-एनसीआर, बिहार, उत्तराखंड और असम जैसे इलाके उच्च भूकंपीय क्षेत्र में आते हैं। यदि इन इलाकों में बड़े भूकंप की संभावना बनी रहती है, तो इसका असर लाखों लोगों पर पड़ सकता है।
भारत को भूकंपीय खतरे के आधार पर चार जोनों में बांटा गया है। जोन-5 (सबसे ज्यादा खतरा) में जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार, असम, नागालैंड, अंडमान-निकोबार शामिल हैं। जोन-4 (उच्च जोखिम) में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात आते हैं, जबकि जोन-3 (मध्यम खतरा) में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान हैं और जोन-2 (न्यूनतम खतरा) में दक्षिण भारत के कुछ हिस्से शामिल हैं।
भूकंप की तीव्रता के आधार पर इसके प्रभाव अलग-अलग होते हैं। 4.0 से 4.9 तीव्रता के भूकंप में खिड़कियां और दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं, 5.0 से 5.9 तीव्रता के भूकंप में घर का फर्नीचर हिल सकता है, 6.0 से 6.9 तीव्रता के भूकंप में इमारतों को नुकसान हो सकता है और 7.0 से अधिक तीव्रता के भूकंप में इमारतें गिर सकती हैं और जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।
भारत में लगातार आ रहे भूकंपों को हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है। यदि टेक्टोनिक प्लेट्स में बड़े बदलाव हो रहे हैं, तो हमें भविष्य में और भी शक्तिशाली भूकंप झेलने के लिए तैयार रहना होगा। सुरक्षा के लिए भूकंप आने पर खुले स्थान पर जाएं, बिल्डिंग के कोनों या मजबूत टेबल के नीचे शरण लें, लिफ्ट और सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें और आपातकालीन किट तैयार रखें।