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Sharadiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र 2025 की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें

सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।

Sharadiya Navratri

07-Mar-2025 07:14 AM

By First Bihar

Sharadiya Navratri 2025: सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तजन व्रत, हवन, जप और साधना के माध्यम से देवी मां को प्रसन्न करते हैं, जिससे सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


शारदीय नवरात्र 2025 तिथि एवं शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को देर रात 01:23 बजे से प्रारंभ होगी और 23 सितंबर को रात 02:55 बजे समाप्त होगी। चूंकि सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर 2025, सोमवार से होगी। इस दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा।


घटस्थापना मुहूर्त – 22 सितंबर 2025, सुबह 06:09 से 08:06 तक

अभिजीत मुहूर्त – 22 सितंबर 2025, सुबह 11:49 से दोपहर 12:38 तक


शारदीय नवरात्र 2025 पूजा कैलेंडर

22 सितंबर 2025

मां शैलपुत्री की पूजा

23 सितंबर 2025

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

24 सितंबर 2025

मां चंद्रघंटा की पूजा

25 सितंबर 2025

मां कूष्मांडा की पूजा

26 सितंबर 2025

मां स्कंदमाता की पूजा

27 सितंबर 2025

मां कात्यायनी की पूजा

28 सितंबर 2025

मां कालरात्रि की पूजा

29 सितंबर 2025

मां सिद्धिदात्री की पूजा

30 सितंबर 2025

मां महागौरी की पूजा

01 अक्टूबर 2025

महानवमी (कन्या पूजन)

02 अक्टूबर 2025

विजयदशमी (दशहरा)


नवरात्रि पूजा विधि

कलश स्थापना (घटस्थापना): नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें। इसमें आम, अशोक और आम्रपल्लव रखें तथा गंगाजल भरें।

मां दुर्गा की स्थापना: देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाएं।

व्रत एवं संकल्प: नवरात्रि व्रत का संकल्प लेकर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ करें।

पूजा सामग्री: लाल कपड़ा, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, फल, नैवेद्य और पंचामृत चढ़ाएं।

दुर्गा सप्तशती पाठ: प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।

कन्या पूजन: नवरात्रि के अंतिम दिन नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें भोजन व दक्षिणा देकर विदा करें।

हवन और विसर्जन: नवरात्रि के अंतिम दिन हवन करें और मां दुर्गा की मूर्ति या कलश का विसर्जन करें।


शारदीय नवरात्र के लाभ

मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

आर्थिक उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।

परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।


शारदीय नवरात्र देवी दुर्गा की उपासना का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं। यदि विधिपूर्वक पूजा और व्रत किया जाए तो मां दुर्गा सभी संकटों का नाश कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।