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13-Feb-2025 07:40 AM
By First Bihar
Dwijpriya Sankashti Chaturthi: सनातन धर्म में भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना से होती है। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं। हर महीने चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व होता है।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मनचाहे करियर की प्राप्ति होती है और साधक को गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति बप्पा की पूजा करने और उन्हें प्रिय भोग अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025: डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 15 फरवरी 2025 को रात 11:52 बजे होगा और यह तिथि 17 फरवरी 2025 को रात 2:15 बजे समाप्त होगी। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा 16 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन गणपति बप्पा को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नान करके पूजा का विशेष आयोजन किया जाएगा।
गणेश जी को प्रिय भोग
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को उनकी पसंदीदा चीजों का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
मोदक: गणेश जी को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। पूजा थाली में मोदक शामिल करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
लड्डू: गणपति बप्पा को लड्डू का भोग भी बहुत प्रिय है। मान्यता है कि इससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में शांति बनी रहती है।
नारियल: पूजा में नारियल का भोग लगाने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
फल, दूध, दही: पूजा में ताजे फल, दूध और दही का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है।
पूजा का तरीका
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें। उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाकर विधिपूर्वक उनकी पूजा करें। गणेश जी के मंत्रों का जप करें और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
गणेश मंत्र
ॐ गण गणपतये नमः।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और सफलता का वास होता है।