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18-Oct-2025 09:56 AM
By First Bihar
Dhanteras 2025: भारत में दिवाली का महोत्सव धनतेरस से शुरू होता है, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा का विशेष महत्व है। पुरानी कथाओं के अनुसार, इसी दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं और अपने साथ समृद्धि लेकर आई थीं, वहीं धन के देवता कुबेर भी उनके साथ आए थे। इस दिन की विशेषता यह है कि जो भी व्यक्ति धनतरेस के दिन खरीदारी करता है, उसे उसका लाभ पूरे वर्ष मिलता है। इसलिए लोग इस दिन सोना-चांदी, बर्तन और यहां तक कि वाहन भी खरीदते हैं।
द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे से होगा और समापन 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे तक रहेगा।
लाभ उन्नति मुहूर्त: दोपहर 1:32 बजे से दोपहर 2:57 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 2:57 बजे से शाम 4:23 बजे तक
चर काल: दोपहर 12:06 बजे से दोपहर 1:32 बजे तक
आज धनतेरस पर पूजन का शुभ समय शाम 7:16 बजे से रात 8:20 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है धनतेरस के दिन सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार पर चार मुखी यम दीपक जलाए जाते हैं। इसे यम देवता के सम्मान में प्रज्वलित किया जाता है और इसे दीपदान भी कहा जाता है। यम दीपक शाम 5:48 बजे से शाम 7:04 बजे तक जलाया जाएगा, जिसकी अवधि लगभग 1 घंटे 16 मिनट की है। यह अनुष्ठान परिवार में सुख-शांति और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए किया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन खरीदारी करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
सोना और चांदी: इस दिन सोने और चांदी के आभूषण और सिक्के खरीदना शुभ माना जाता है।
बर्तन: तांबे और पीतल के बर्तन खरीदना भी लाभकारी है।
झाड़ू: नई झाड़ू खरीदना घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
वाहन: वाहन खरीदना भी इस दिन शुभ माना जाता है और इसे वित्तीय समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
धनतेरस केवल सोना-चांदी खरीदने के लिए ही नहीं, बल्कि भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और मानवता को स्वास्थ्य का उपहार दिया। इस दिन लोग उनके पूजन के माध्यम से स्वास्थ्य, दीर्घायु और कल्याण की कामना करते हैं। इसके साथ ही भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर से आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
धनतेरस का यह पर्व केवल पूजा और खरीदारी का ही नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन परिवार में सौभाग्य और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन की प्रत्येक क्रिया का विशेष महत्व है।