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13-Oct-2025 10:51 AM
By First Bihar
Lalu Yadav IRCTC Scam: पटना और दिल्ली की राजनीति में आज आईआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई की वजह से हलचल बनी हुई है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आज राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे। अदालत आज मामले में आरोप तय करने पर फैसला सुना दिया गया है।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आईआरसीटीसी घोटाला मामले में लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोप तय करने का निर्णय सुनाया।
कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने स्पष्ट किया कि लालू यादव ने टेंडर प्रक्रिया में दखल दिया और इसमें बड़े बदलाव कराए। अदालत ने कहा कि लालू यादव की जानकारी में ही जमीन के आवंटन और टेंडर प्रक्रिया में छेड़छाड़ की गई। कोर्ट ने साजिश, पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए यह भी जोड़ा कि यह सब लालू यादव की जानकारी और सहमति में हुआ।
लैंड फॉर जॉब मामला 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री कार्यकाल के दौरान सामने आया। इस मामले में आरोप है कि लालू यादव ने सरकारी जमीन का गलत इस्तेमाल कर अपने परिवार के सदस्यों और करीबी लोगों को लाभ पहुँचाया। कोर्ट ने कहा कि लालू यादव ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए जमीन का हक राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को देने की साजिश रची थी।
कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा। पेशी के दौरान लालू यादव व्हीलचेयर पर कोर्ट पहुंचे, जबकि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव भी उपस्थित रहे। कोर्ट ने आरोपियों से सवाल किया कि क्या वे आरोप मानते हैं या नहीं। सभी ने अपने जवाब में कहा कि वे दोषी नहीं हैं। इस मामले में सीबीआई ने दावा किया है कि लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। आरोपियों पर आईपीसी की धारा 120B (साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया।
आईआरसीटीसी घोटाला केस में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों पर रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटल्स के टेंडर में भ्रष्टाचार के आरोप हैं। आरोप है कि टेंडर लाभ लालू से जुड़ी एक बेनामी कंपनी के माध्यम से दिए गए और इसमें सरकारी नियमों का उल्लंघन हुआ। इस मामले की एफआईआर 7 जुलाई 2017 को दर्ज की गई थी। सीबीआई ने लालू और उनके परिवार से जुड़े पटना, रांची, नई दिल्ली और गुरुग्राम में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज और सबूत बरामद किए गए, जो आरोपों को पुष्ट करते हैं।
राउज एवेन्यू कोर्ट का यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अदालत का आदेश तय करेगा कि लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा या नहीं। अगर कोर्ट आरोप तय करती है, तो यह मामले में फुल-फ्लेज्ड ट्रायल की दिशा में पहला कदम होगा।
पेशी के दौरान लालू यादव ने स्पष्ट किया कि वे आरोपों को स्वीकार नहीं करते। उन्होंने कहा कि उनका नाम जुड़ना केवल राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। वकीलों ने भी तर्क दिया कि लालू यादव के खिलाफ इस मामले में मुकदमा चलाने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। हालांकि अदालत ने सभी सबूतों और सीबीआई की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए आरोप तय किए।
लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आईआरसीटीसी और लैंड फॉर जॉब मामले में आरोप तय होना न्यायिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कदम न केवल लालू परिवार के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा बल्कि बिहार की राजनीति में सत्ता-संतुलन और चुनावी रणनीति पर भी असर डालेगा। कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है और सुनवाई आगे जारी रहेगी। इस फैसले के साथ ही लालू यादव की लंबी राजनीतिक और कानूनी जद्दोजहद एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। आने वाले समय में यह देखने वाली बात होगी कि अदालत का निर्णय उनके राजनीतिक कैरियर और राजद की चुनावी संभावनाओं को किस तरह प्रभावित करता है।