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06-May-2025 10:32 AM
By First Bihar
Bihar Politics: बिहार की सियासत में अब हर कदम गिन-चुनकर रखा जा रहा है, खासकर जब बात विधानसभा चुनाव की हो। कांग्रेस ने अब कुर्मी वोटबैंक को साधने की ठान ली है, जो बिहार में करीब 4 फीसदी वोटों का मालिक है। इसीलिए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 19 मई को पटना पहुंच रहे हैं। उनका मकसद साफ है.. कुर्मी समाज के बीच अपनी पार्टी की पैठ मजबूत करना। बघेल पटना में कुर्मी समाज के लोगों से बड़ी बैठक करेंगे और राहुल गांधी के विचारों को उनके सामने रखेंगे। यह कदम बिहार की सियासत में नया रंग भर सकता है, क्योंकि कुर्मी वोटों पर नीतीश कुमार का दबदबा रहा है।
भूपेश बघेल का पटना दौरा सिर्फ कुर्मी समाज तक सीमित नहीं है। वह पटेल छात्रावास में युवा छात्रों से भी मिलेंगे और उनकी बात सुनेंगे। बिहार के युवाओं में कुर्मी समाज का बड़ा हिस्सा है, और कांग्रेस उनकी नब्ज टटोलना चाहती है। बघेल छात्रों के साथ खुलकर बात करेंगे, उनके सपनों और परेशानियों को समझेंगे। यह मुलाकात इसलिए भी खास है, क्योंकि युवा वोटर किसी भी चुनाव में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। बघेल का यह कदम कांग्रेस की उस सोच को दिखाता है, जो युवाओं और स्थानीय समुदायों को जोड़कर सियासी जमीन तैयार करना चाहती है।
बताते चलें कि कुर्मी समाज की बैठक के बाद बघेल सदाकत आश्रम में कांग्रेस नेताओं के साथ भी मंथन करेंगे। यहां वह राहुल गांधी की रणनीति को बिहार के नेताओं के सामने रखेंगे। राहुल गांधी लंबे समय से जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय की बात कर रहे हैं, और बघेल इन्हीं मुद्दों को कुर्मी समाज के बीच ले जाएंगे। कुर्मी समाज, जो ओबीसी में एक प्रभावशाली समुदाय है, बिहार में कई सीटों पर नतीजे बदल सकता है।
कांग्रेस की यह कोशिश न सिर्फ कुर्मी वोटबैंक को अपनी ओर खींचने की है, बल्कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के गढ़ में सेंध लगाने की भी है। कांग्रेस की इस रणनीति से बिहार की सियासत में हलचल मचनी तय है। कुर्मी वोटरों को साधने की यह कोशिश महागठबंधन के भीतर भी नए समीकरण बना सकती है, क्योंकि राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे की बातचीत चल रही है। भूपेश बघेल की यह यात्रा न सिर्फ कुर्मी समाज, बल्कि पूरे बिहार के वोटरों को यह संदेश देगी कि कांग्रेस अब पुरानी हार को भूलकर नई ऊर्जा के साथ मैदान में है।