Patna High Court Chief Justice : पटना हाईकोर्ट को मिलेगा नया चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस पी. बी. बजंथरी की नियुक्ति की सिफारिश AI Generated Video: साहब के सपनों में आईं "माँ" देखिए रोचक संवाद... बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का AI अटैक, छिड़ा घमासान Bihar News: बिहार में फंदे से लटकी मिली बैंक अधिकारी की पत्नी, पिता ने कहा "मेरी बेटी को कई महीनों से किया जा रहा था प्रताड़ित" Bihar News: बिहार को पाकिस्तान ने दी बम से उड़ाने की धमकी, सभी जिलों में गहन जांच के निर्देश Bihar News: बाढ़-सिंचाई के लिए बिहार को केंद्र की बड़ी सौगात, 11,500 करोड़ की मदद का ऐलान BIHAR: 15 सितंबर को अमृत भारत का परिचालन, जोगबनी और सहरसा से यहां तक चलेगी ट्रेन, प्रधानमंत्री दिखाएंगे हरी झंडी शिवहर में पिता पर नाबालिग बेटी से दुष्कर्म का आरोप, पुलिस ने दर्ज किया FIR अररिया में 4 दिनों से बिजली गायब: ट्रांसफार्मर नहीं बदले जाने से गुस्साए ग्रामीणों ने किया सड़क जाम हंगामा सहरसा में शिक्षिका के घर दिनदहाड़े चोरी, 10 लाख के जेवरात और नगदी पर किया हाथ साफ ब्रह्मपुर में NDA कार्यकर्ता सम्मेलन: BJP सहित सहयोगी दलों के नेताओं ने दिखाया शक्ति प्रदर्शन
17-Sep-2021 07:15 AM
PATNA : जमीन विवाद से जुड़े मामलों के निपटारे को लेकर नीतीश सरकार एक के बाद एक फैसले कर रही है। राज्य मैं निजी रैयती जमीन के विवाद को लेकर विभाग में अब एक और बड़ा फैसला किया है। भूमि सुधार उप समाहर्ता यानी डीसीएलआर अब निजी रैयती जमीन के विवाद से जुड़े केस भी देखेंगे। खास बात यह है कि किसी भी विवाद में उनकी तरफ से दिए गए फैसले की अपील अब सीधे प्रमंडलीय आयुक्त के कोर्ट में की जा सकेगी। डीसीएलआर की तरफ से जमीन विवाद के फैसले को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी अंचलाधिकारी और संबंधित थाने की होगी।
प्रदेश में पहले भी यह व्यवस्था लागू थी। डीसीएलआर रैयती जमीन से जुड़े विवाद को देखते थे लेकिन 5 साल पहले इसे खत्म कर दिया गया था। अब एक बार फिर 5 साल बाद डीसीएलआर को रैयती जमीन से जुड़े विवाद के निपटारे की जिम्मेदारी दे दी गई है। राज्य में जमीन विवाद निराकरण अधिनियम 2009 फिर से पुराने रूप में लागू हो गया है। जिसके तहत यह अधिकार डीसीएलआर को मिले हैं। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद अब जमीन से जुड़े छोटे विवादों को लेकर लोग सिविल कोर्ट नहीं जाएंगे। सिविल कोर्ट में ऐसे मामलों के निपटारे में काफी लंबा वक्त लग जाता था। डीसीएलआर कोर्ट से फैसला जल्दी आ जाएगा और उसकी अपील भी कमिश्नर कोर्ट में की जा सकेगी।
इस पुराने निर्णय को एक बार फिर से लागू किए जाने के पीछे सरकार की मंशा यह है कि कोर्ट के ऊपर काम के दबाव को कम किया जाए। फिलहाल डीसीएलआर को सिर्फ सरकारी जमीन का विवाद देखने को अधिकार दिया गया था। आपको बता दें कि 2009 में बने भूमि विवाद निराकरण अधिनियम में डीसीएलआर को निजी जमीन का विवाद देखने का अधिकार भी दिया गया था लेकिन हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान अधिनियम की इस व्यवस्था को निरस्त कर दिया था।