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09-Aug-2024 04:46 PM
By First Bihar
DELHI: केंद्र सरकार ने बीते 8 अगस्त को लोकसभा में भारी गहमागहमी के बीच वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन के लिए वक्फ (संसोधन) बिल को पेश किया था। केंद्र सरकार की तरफ से संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन किजिजू ने इस बिल को संसद में पेश किया। इस बिल के पेश होने के बाद विपक्ष ने इसको लेकर आपत्ति जताई। विपक्ष की अपत्ति के बाद इसके लिए कमेटी गठित करने का फैसला लिया गया था।
वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक के लिए अब JPC का गठन कर लिया गया है। इस संयुक्त संसदीय कमेटी में दोनों ही सदनों के सांसदों को सदस्य बनाया गया है। कमेटी मे लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। कमेटी के लिए राज्यसभा के 10 सदस्यों के नामों की जल्द ही घोषणा की जाएगी जबकि लोकसभा के 21 सदस्यों के नामों का एलान कर दिया गया है।
इस कमेटी में लोकसभा के 21 सदस्यों में जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डीके अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिबुल्लाह, कल्याण बनर्जी, ए.राजा, लावु श्रीकृष्ण देवरायलू, दिलेश्वर कामत, अरविंद सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेंद्र गणपत म्हस्के, अरुण भारती और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।
बता दें कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संसोधन बिल 2024 संसद में पेश किया था। कांग्रेस ने इसपर आपत्ति जताई थी। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा थी कि यह संविधान की ओर से दिए गए धर्म और फंडामेंटल राइट्स पर हमला है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछे कि क्या अयोध्या के मंदिर में कोई नॉन हिंदू है, क्या किसी मंदिर की कमेटी में किसी गैर हिंदू को रखा गया है। वक्फ भी एक धार्मिक संस्था है। यह समाज को बांटने की कोशिश है।
वहीं इस दौरान संसद में रामपुर सांसद मोहिबुल्ला ने चार धाम से लेकर तमाम हिंदू मंदिरों की कमेटी का उदाहरण पेश किया और कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में भी सिख ही सदस्य होगा तो फिर मुसलमानों से यह अन्याय क्यों हो रहा है। हम बड़ी गलती करने जा रहे हैं जिसका खामियाजा सदियों तक भुगतना होगा। विपक्ष ने एक सुर में इस बिल को संवैधानिक प्रावधानों का खुला उल्लंघन बताया था।