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03-Aug-2023 08:05 AM
By First Bihar
BEGUSARAI: 5 पुलिसकर्मियों को ट्रक चालक से 2 रुपये की अवैध वसूली करते एसपी ने रंगेहाथ पकड़ा था। जिसके बाद इन सब के खिलाफ बेगूसराय के मुफ्फसिल थाने में केस भी दर्ज किया गया था। मामला कोर्ट में जाने के बाद सुनवाई हुई। 37 साल बाद इस मामले में कोर्ट ने फैसला आया। इन पुलिसकर्मियों को रिहा किया गया है।
मामला 10 जून 1986 का है जो बेगूसराय के लाखो पोस्ट से जुड़ा हुआ है। इस चेक पोस्ट पर पांच पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी थी। इनके बारे में एसपी को यह सूचना मिली थी कि वाहनों से पुलिसकर्मी अवैध वसूली करते हैं। फिर क्या था एसपी खुद मौके पर पहुंच गये और पुलिस कर्मियों को दो रुपये की अवैध वसूली करते रंगेहाथ पकड़ लिया। मामला कोर्ट में भी पहुंच गया। जिस पर 37 साल बाद फैसला आया।
इन सभी पुलिस कर्मियों को भागलपुर के विजिलेंस कोर्ट के विशेष जज सह एडीजे-2 की अदालत ने बरी कर दिया। इन पुलिसकर्मियों के नाम कैलाश शर्मा, रामरतन शर्मा, राम बालक राय, ग्यानी शंकर सिंह और युगेश्वर महतो हैं। इन सभी पर वाहनों से अवैध वसूली करने का आरोप था। बेगूसराय के तत्कालीन नगर अंचल निरीक्षक सरयुग बैठा ने केस दर्ज कराया था।
सरयुग बैठा ने बताया था कि वे लाखो पेट्रोल पंप के पास जब पहुंचे थे तब वहां बेगूसराय के तत्कालीन एसपी अरविंद वर्मा ने बताया कि लाखो पोस्ट पर प्रतिनियुक्त जवान वाहनों से अवैध वसूली कर रहे हैं। एसपी ने मामले की जांच की बात कही। इसलिए वे वहां चले गये। उसके बाद वहां से गुजर रहे एक ट्रक को रोका गया जिसमें खुद एसपी साहब बैठ गए। एसपी ने दो रुपये के एक नोट पर हस्ताक्षर कर खलासी को दिया था।
पोस्ट पर पहुंचने पर वहां प्रतिनियुक्त पुलिस कर्मियों ने बैरियर को खोला। वहीं खलासी ट्रक से उतरकर एसपी का साइन किया हुआ दो रुपये का नोट होमगार्ड जवान रामरतन शर्मा को दे दिया। जिसके बाद ट्रक के खलासी ने एसपी को बताया कि जो दो रुपया आप दिये थे साहब वो पुलिसवाले ले लिये हैं। जिसके बाद ट्रक पर सवार एसपी सहित अन्य पुलिसकर्मी नीचे उतरे और जवानों की तलाशी लेनी शुरू कर दी।
जब पुलिस कर्मी की तलाशी ली गयी तब रामरतन शर्मा के पास से कुल आठ रुपये निकला था। जिसमें दो रुपये का वह नोट भी था जिसपर एसपी का साइन किया था। एसपी ने दो रुपये की अवैध वसूली करते पुलिसकर्मियों को रंगेहाथ पकड़ लिया। जिसके बाद पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुफ्फसिल थाने में केस दर्ज कराया गया। मामला कोर्ट में गया और अब 37 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इन सभी पुलिसकर्मियों को रिहा किया गया है।