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शराब के लिए एक साल में 6 लाख पिछड़ों-दलितों को जेल भेजा गया: सुशील मोदी बोले-शराबबंदी कानून की तत्काल समीक्षा करें नीतीश

शराब के लिए एक साल में 6 लाख पिछड़ों-दलितों को जेल भेजा गया: सुशील मोदी बोले-शराबबंदी कानून की तत्काल समीक्षा करें नीतीश

07-Dec-2022 08:11 PM

PATNA : बिहार में शराब के नाम पर पिछले एक साल में लगभग 6 लाख पिछड़े, दलित औऱ गरीब तबके के लोगों को जेल भेज दिया गया. बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने ये आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि बिहार में कमजोर लोगों पर शराबबंदी कानून का कहर बरप रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार को अपने शराबबंदी कानून की तत्काल समीक्षा करनी चाहिये.


सुशील मोदी ने कहा है कि सिर्फ इस साल के नवंबर महीने में 45 हजार से ज्यादा पिछड़ों, दलितों और गरीबों को शराब के नाम पर जेल भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि नवम्बर में रसूखदार और सरकारी कर्मचारी तो सिर्फ 739 पकडेह गए, जबकि गरीब और पिछड़ी जातियों के 6 लाख लोग हर साल जेल भेजे जा रहे हैं. नीतीश कुमार की शराबबंदी गरीबों पर भारी पड़ रही है.


उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में बिहार में तीन लाख लीटर से ज्यादा शराब बरामद हुआ है. खपत कितना गुणा ज्यादा हुआ होगा ये अनुमान कर पाना कठिन है. जाहिर है कि पूर्ण शराबबंदी लागू करने में नीतीश सरकार पूरी तरह विफल रही है. सुशील मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी शराबबंदी के खिलाफ नहीं है लेकिन इसे लागू करने में सरकार विफल है. ऐसे में इसकी समीक्षा क्यों नहीं होनी चाहिए ? 


 उन्होंने कहा है कि नवंबर महीने में सिर्फ शराब पकड़ने के लिए पुलिस-प्रशासन ने 1 लाख 28 हजार से ज्यादा छापामारी की. जाहिर है कि कानून-व्यवस्था और अपराध के दूसरे मामलों के लिए सरकारी तंत्र के पास समय नहीं है. सुशील मोदी ने कहा है कि शराब की होम डेलिवरी में हजारों लोग लगे हैं और सैकड़ों वाहनों का इस्तेमाल हो रहा है.  लेकिन एक महीने में होम डेलीवरी करने वाले 952 लोग ही पकड़े गए और सिर्फ 1469 वाहन जब्त हुए. उन्होंने कहा कि ये आंकड़े खुद सरकार के हैं और इससे पता चलता है कि पुलिस शराब माफिया के लोगों पर नरम और आम लोगों के प्रति सख्त होकर दोनों तरफ से वसूली में लगी है. 


सुशील मोदी ने कहा कि यदि रोजाना 10 हजार लीटर और महीने में 3 लाख लीटर  शराब जब्त की गई, तो इतनी शराब आ कहाँ से रही है? सरकार इसकी तस्करी रोक नहीं पा रही है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को 2016 की पूर्ण शराबबंदी नीति पर हठ छोड़कर तुरंत समीक्षा करनी चाहिए.