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समस्तीपुर के इकलौते जूट मिल में लग गया ताला, हजारों मजदूरों के रोजगार पर गहराया संकट

समस्तीपुर के इकलौते जूट मिल में लग गया ताला, हजारों मजदूरों के रोजगार पर गहराया संकट

23-Jul-2022 02:27 PM

By RAMESH SHANKAR

SAMATIPUR:  एक तरफ बिहार में उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने की बात सरकार आए दिन करती है वही समस्तीपुर के इकलौते जूट मिल में एक बार फिर से ताला लटक गया है। बिना किसी पूर्व सूचना के जूट मिल को बंद किए जाने से मिल में काम करने वाले मजदूरों के बीच रोजगार का संकट गहराने लगा है। मिल प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है। अब मजदूर आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं। 


मजदूरों के आक्रोश को देखते हुए जिला प्रशासन ने जूट मिल में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की है। मिल प्रबंधन की दलील है कि मजदूरों द्वारा प्रोडक्शन कम किए जाने के कारण मिल को बंद किया गया है। वहीं मिल में काम करने वाले लोगों का कहना है कि मिल प्रबंधन साजिश के तहत मजदूरों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। मिल को बंद किये जाने से यहां काम करने वाले हजारों मजदूरों के समक्ष रोजगार संकट गहरा गया है।


 मजदूर यूनियन के नेताओं का कहना है कि इससे पूर्व भी 2017 में मिल को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त 2020 में फिर मिल को चालू किया गया था। तब से अब तक मिल चल रहा था लेकिन अब इसे एक बार फिर से बंद कर दिया गया है। प्रबंधन के बड़े अधिकारी मिल छोड़कर फरार हो गए है। अब मजदूरों से बातचीत करने के लिए भी मिल में कोई अधिकारी मौजूद नहीं है। 


मिल में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि मिल प्रबंधन की दलील है कि प्रोडक्शन कम होने की वजह से मिल को बंद किया गया है। जबकि मजदूरों का कहना है कि यह मिल काफी पुराना है। मिल में लगे उपकरण काफी पुराने और जर्जर हो चुके हैं। ऐसे में  पुराने और जर्जर मशीन से प्रोडक्शन को बढ़ाना संभव नहीं है। मिल प्रबंधन द्वारा नए उपकरण और मेंटेनेंस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा था उल्टे मिल मजदूरों पर ही ठीकरा फोड़ मिल को बंद कर दिया गया है।


मिल मजदूरों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्दी ही मिल प्रबंधन और सरकार मिल को शुरू नहीं करती है तो आगे उनका आंदोलन और तेज होगा। समस्तीपुर का यह इकलौता जूट मिल है जिससे करीब एक हजार मजदूरों का घर चलता है। यदि मिल बंद हुआ तो वे सभी बेरोजगार हो जाएंगे। जिसका सीधा असर उनके जीवन यापन पर पड़ेगा। अब मजदूर सरकार पर उम्मीद लगाए बैठे हैं।