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08-Feb-2023 07:58 PM
By AKASH KUMAR
AURANGABAD: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों समाधान यात्रा पर हैं। समाधान यात्रा के तहत 11 फरवरी को सीएम रोहतास और औरंगाबाद में रहेंगे। जिसकी सारी तैयारियां की जा रही है। नीतीश की समाधान यात्रा दो दिन पहले नक्सलियों ने धमकीभरा पोस्टर लगाया है। नक्सलियों ने बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह और गोह से जेडीयू के पूर्व विधायक रणविजय सिंह को जान से मारने की धमकी दी है।
नक्सलियों द्वारा लगाये गये पोस्टर पर यह लिखा गया है कि सांसद सुशील सिंह जब तक आप अपने क्षेत्र में नहर नहीं लायेंगे तब तक आपकों क्षेत्र मे घुमने पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी रोकेगी। यदि इस आदेश को आप नहीं माने तो माओवादियों का विरोध झेलना पड़ेगा।
नक्सलियों ने गोह के पूर्व विधायक रणविजय सिंह को भी धमकी देते हुए कहा गया है कि जो हाल सुशील पांडेय का हुआ है वही हाल तुम्हारा भी होगा। सुशील पांडेय का शव आज भी गरीब किसान के खेत का उपज बढ़ा रहा है। गौह चौक पर अपने सामान्तवादी सौच और रंगदारी पूर्वक जो बैठते हैं वही तुम्हारे पार्टी कार्यालय और तुमको उढ़ा दिया जाएगा। अपना सोच बदलो मार्क्सवाद कभी खत्म नहीं होते हमारे सभी कामरेड जो जेल में बंद या बाहर है सभी तुम्हारे हर गतिविधियों पर नजर रखें हुए है। कभी भी तुम्हारे विचार धारा बदला जा सकता है लाल सलाम
माओवादियों की पोस्टरबाजी से औरंगाबाद की राजनीति में भूचाल आ गया है। बीजेपी सांसद सुशील सिंह और गोह से जेडीयू नेता व पूर्व विधायक की हत्या करने की धमकी नक्सलियों ने दिया है। इस घटना से पुलिस महकमें में हड़कंप मचा हुआ है। बता दें कि 11 फरवरी को समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार औरंगाबाद आने वाले हैं।
औरंगाबाद में लंबे अंतराल के बाद प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने तगड़ी पोस्टरबाजी की है। पोस्टरबाजी से औरंगाबाद की राजनीति में भूचाल आ गया है क्योकि पोस्टर के माध्यम से माओवादियों ने औरंगाबाद के बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह और गोह के पूर्व विधायक जेडीयू के वरीय नेता डॉ. रणविजय कुमार को सीधी धमकी दी है। नक्सलियों ने पूर्व विधायक की हत्या करने का ऐलान किया है जबकि सांसद को क्षेत्र में नहर नही लाने पर विरोध की धमकी दी है। पोस्टर में पूर्व विधायक और उनके पार्टी(जदयू) कार्यालय को उड़ाने की भी धमकी दी गयी है। यह पोस्टरबाजी औरंगाबाद के गोह और बंदेया थाना क्षेत्र के कई गांवों में की गई है। गोह थाना के पेमा व डिहुरी तथा बंदेया थाना के महरी एवं जैतिया गांव के ग्रामीणों ने पोस्टर देखे जाने की पुष्टि की है।
पोस्टरबाजी से पलिस महकमे में सनसनी फैल गई है। हालांकि पुलिस ने पोस्टरबाजी की पुष्टि की है लेकिन हद यह कि पोस्टर पुलिस के हाथ नहीं लगे है। पोस्टरबाजी से नक्सली दे रहे विकास का हिमायती हाेने का परिचय, सांसद के प्रति सम्मानजनक संबोधन- पोस्टर के माध्यम से नक्सलियों ने अपनी विकास विरोधी छवि के उलट विकास का समर्थक होने की छवि भी पेश की है। साथ ही सांसद को सम्मानजनक तरीके से संबोधित किया है। पोस्टर हस्तलिखित है, जो काले और ब्लू कलर में बॉल प्वाइंट पेन से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी) के लेटरपैड पर लिखा गया है। पोस्टर में बाजाप्ता लेटर नंबर दिया गया है। लेटर का पत्रांक 1883, तारीख 05 फरवरी 2023 और स्थान चाल्हो जोन लिखा है।
बता दें कि सलैया और कासमा थाना क्षेत्र का जंगली-पहाड़ी इलाका नक्सलियों के चाल्हो जोन के रूप में चर्चित रहा है और एक समय नक्सली दिन के उजाले में भी इस जोन वाले इलाके में खुलेआम विचरण किया करते रहे है। वही ब्लू कलर में लिखे पोस्टर के पहले पारा में कहा गया है कि सांसद सुशील सिंह जब तक अपने क्षेत्र में नहर नहीं लाएंगे। तब तक क्षेत्र में घूमने पर मार्क्सवादी (एमसीसी) कम्युनिस्ट पार्टी आपको प्रतिबंधित करती है। यदि आप आदेश नहीं मानेंगे तो माओवादी का विरोध झेलना पड़ेगा।
पूर्व विधायक को हत्या की धमकी, सम्मानजनक के साथ अपमानजनक शब्दों का भी प्रयोग, कार्यालय उड़ाने की भी बात- हालांकि पोस्टर में कही सांसद को हत्या की धमकी नही दी गई हैं लेकिन लाल रंग में लिखे पोस्टर के दूसरे पाराग्राफ में गोह के पूर्व विधायक रणविजय सिंह को हत्या की धमकी दी गई है। पोस्टर में पूर्व विधायक के प्रति सम्मानजनक और अपमानजनक दोनो स्टाइल में शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। पोस्टर में पूर्व विधायक के प्रति सम्मानजनक भाषा में कहा गया है कि पूर्व विधायक गोह रणविजय सिंह आपका वही हाल किया जाएंगा जो पिसाय सुशील पांडेय का किया गया, जिसका शव आज भी गरीब किसान के खेत का उपज बढ़ा रहा है।
पोस्टर में पूर्व विधायक के बारे में आगे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा गया है कि गोह चौक पर आप सामंतवादी सोंच और रंगदारीपूर्वक जो बैठते है, वही तुम्हारे पार्टी कार्यालय एवं तुमको उड़ा दिया जाएगा। अपना सोंच बदलो। मार्क्सवाद कभी खत्म नही होते। हमारे सभी कामरेड जो जेल में बंद या बाहर है, सभी तुम्हारे हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। कभी भी तुम्हारा विचारधारा बदला जा सकता है। पोस्टर के नीचे अंत में लाल सलाम अंकित है।
पहले भी दोनों के खिलाफ नक्सलियों ने की है पोस्टरबाजी-हालांकि इसके पहले भी पूर्व विधायक रणविजय कुमार की हत्या करने की धमकी देते हुए नक्सलियों ने कई बार पोस्टर चिपकाया है, जिसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व विधायक व उनके गांव की सुरक्षा को लेकर बंदेया में थाना भी स्थापित कर दिया है और राज्य सरकार ने उन्हे वाई श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है। वही सांसद सुशील कुमार सिंह के खिलाफ भी नक्सली पूर्व में पोस्टरबाजी कर चुके है।नक्सलियों के टारगेट पर रहने के कारण ही सांसद को केंद्र सरकार की ओर से सीआरपीएफ की सुरक्षा हासिल है। इसके बावजूद एक बार फिर से नक्सलियों ने पोस्टर चिपकाकर इस तरह की धमकी दी है।
पुलिस को नहीं मिले पोस्टर-इस बारें में पूछे जाने पर गोह थानाध्यक्ष कमलेश पासवान ने पोस्टरबाजी की पुष्टि करते हुए कहा कि पूर्व विधायक तथा पेमा एवं डिहुरी गांव के लोगों से पोस्टरबाजी की सूचना मिली लेकिन पुलिस के मौके पर पहुंचने के पहले ही वहां से पोस्टर उखाड़ लिया गया था। उन्हे पोस्टर हाथ नही लगा है। वही बंदेया के प्रभारी थानाध्यक्ष अरविंद सिंह ने भी पोस्टर चिपकाने की पुष्टि की लेकिन कहा कि घटनास्थल पर जब पुलिस पहुंची तो वहां पोस्टर नही था। सिर्फ निशान थे, जिससे लग रहा था कि यहां कोई पोस्टर चिपकाया गया था, जिसे उखाड़ दिया गया है।
2013 में नक्सलियों ने सुशील पांडेय को निर्ममता जान ली थी। उल्लेखनीय है कि पोस्टर में पिसाय में जिस तरह सुशील पांडेय को उड़ाने की घटना का जिक्र किया गया है, उस घटना को अक्टूबर 2013 में नक्सलियों ने अंजाम दिया था। नक्सलियों ने लैंडमाइंस बिछाकर वाहन को उड़ा दिया था, जिससे सुशील पांडेय समेत वाहन पर सवार दर्जन भर लोगो की निर्मम मौत हो गई थी। उनकी लाश तक के चीथड़े उङ गये थे। ऐसे में 2013 के तरह की घटना को नक्सलियों द्वारा अंजाम दिये जाने की आशंका से पुलिस बेहद चौकन्नी है। वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव 11 फरवरी को औरंगाबाद की समाधान यात्रा पर आ रहे है।
पूर्व विधायक ने कहा चुनौती कबुल, 42 साल से लड़ रहा हूं-फिर लड़ुंगा-पोस्टरबाजी की घटना के बारे में पूछे जाने पर पूर्व विधायक डॉ. रणविजय कुमार ने कहा कि नक्सली मृतप्राय हो चुके है। सरकार के विकास, सीआरपीएफ और कोबरा के प्रहार से इनकी कहानी खत्म हो चुकी है। इनकी साख समाप्त हो चुकी है। ये जनता में पुनः साख स्थापित करने के लिए इस तरह की हरकत करते है लेकिन इनकी साख अप स्थापित नही होनेवाली है। ये माओत्से के सिद्धांत से भटक गये है।
पूर्व विधायक ने कहा कि माओत्से ने कही भी रंगदारी, लूट अवैध वसूली करने की बात नही की है। रही बात इनकी धमकी की, तो इन गुंडों को मैं जवाब देना जानता हूं। 42 साल से इनसे लड़ाई लड़ रहा हूं। इनकी चुनौती कबुल है, जैसे पहले लड़ा हूं, वैसे फिर लडुंगा। उन्होने सुरक्षा बढ़ाने की बात पर कहा कि सरकार ने उन्हे वाई श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है। इतने में ही उनसे बखुबी लड़ लुंगा।सांसद के दिल्ली में होने से नही मिल सका पक्ष-वही औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह संसद का बजट सत्र चालू रहने के कारण दिल्ली में है। इस कारण प्रयास के बावजूद उनसे संपर्क नही हो सका।