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05-May-2022 07:11 AM
PATNA : प्रशांत किशोर ने बिहार की धरती से जन सुराज लाने की बात कर सबको चौंका दिया था। प्रशांत किशोर आज अपने फ्यूचर प्लान से पर्दा उठाने वाले हैं। हालांकि प्रशांत किशोर की पॉलिटिकल एंट्री को लेकर बिहार के सियासी दिग्गजों की राय लगभग एक जैसी नजर आती है। लालू प्रसाद हो या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव हों या फिर भारतीय जनता पार्टी के नेता, सभी एक सुर में पीके को खारिज कर रहे हैं। सबका कहना है कि प्रशांत किशोर बिहार में ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने तो प्रशांत किशोर को नोटिस तक नहीं लिया जबकि लालू यादव उन्हें फ्लॉप शो का किरदार बता रहे हैं। पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी कुछ ऐसी ही राय जाहिर की है बिहार के यह सियासी दिग्गज भले ही प्रशांत किशोर को इग्नोर कर रहे हो लेकिन आज पीके की तरफ से होने वाले ऐलान पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
प्रशांत किशोर की प्रेस वार्ता पर तमाम दलों के नेताओं की नजर टिकी हुई है। सभी जानने को बेचैन है कि प्रशांत किशोर आखिर आगे का कौन सा प्लान साझा करने वाले हैं? क्या पीके वाकई अपनी नई पॉलिटिकल पार्टी को लॉन्च करने जा रहे हैं या फिर किसी और फॉर्मेट में वह सियासी दखल का रास्ता बताने जा रहे हैं? सामने से भले ही बिहार के सियासी धुरंधर प्रशांत किशोर को नजरअंदाज कर रहे हो लेकिन पीके की प्लानिंग और चुनावी प्रबंधन को यह भली-भांति जानते हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इसका अनुभव किया है। 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, लालू यादव सरीखे नेताओं को पीके के साथ काम करने और उनकी चुनावी रणनीति को करीब से देखने का मौका मिला है। यही वजह है कि इन नेताओं की नजर प्रशांत किशोर की हर चाल पर गड़ी हुई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने अब तक तेजस्वी यादव ही प्रमुख चुनौती के तौर पर रहे हैं। इसके अलावा चिराग पासवान जैसे नेताओं की वजह से नीतीश की परेशानी बढ़ी है। ऐसे में प्रशांत किशोर आगे क्या नीतीश के लिए भी चुनौती खड़ी करेंगे यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है। जेडीयू के नेताओं की नजर इसी बात पर टिकी होगी, जबकि तेजस्वी यादव प्रशांत किशोर को बिहार में एक और विकल्प का कोण नहीं बनते देखना चाहते। आरजेडी की नजर इस नजरिए से पीके के प्लान पर होगी। बीजेपी प्रशांत किशोर फ्यूचर प्लानिंग पर इसलिए नजर गड़ाए होगी क्योंकि उसके एजेंडे में बिहार के अंदर अकेले सत्ता पर काबिज होना शामिल है। वजह चाहे अलग–अलग हो लेकिन तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं को इस बात में दिलचस्पी जरूर है कि पीके आखिर बिहार में क्या करने वाले हैं?