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28-Dec-2023 10:32 PM
By RITESH HUNNY
SAHARSA: पिता की मौत के बाद बेटों द्वारा क्रियाकर्म नहीं करने का फैसला लेना एक परिवार को भारी पड़ गया। सामाजिक ठेकेदारों ने इस निर्णय के खिलाफ परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया। घटना सौरबाज़ार थाना क्षेत्र के चन्दौर पश्चिमी पंचायत के भगवानपुर गांव के खोखसहा का है।
दरअसल, समाजिक कुप्रथा एवं कुरीतियों का शुरू से विरोध करने वाले अजय आज़ाद अधिवक्ता के पिता नित्यानन्द भगत का गत दिनों निधन हो गया था। तीन बेटों में बड़े अजय आज़ाद हैं जो पेशे से वकील हैं। दूसरा बेटा विजय भगत व्यापारी हैं जो अनाज की खरीद बिक्री का काम करते हैं। जबकि तीसरा बेटा डॉ० शशि भगत हैं जो जेएनयू दिल्ली में पढ़ाई कर ब्राजील में PHD कर रहे हैं। पिता के निधन के बाद छोटे बेटे के इंतजार में चार दिनों तक शव घर में पड़ा रहा और ब्राजील से आने के बाद शव का दाह संस्कार किया गया। नौंवे दिन शोकसभा आयोजित की गयी लेकिन क्रियाकर्म नहीं किया गया।
जब इसकी सूचना ग्रामीणों को मिली तो लोगों ने आनन-फानन में आपात बैठक बुलाई। जिसके बाद तीनों बेटों को मृत पिता का विधिवत क्रियाकर्म करने का फरमान जारी किया। साथ ही इस आदेश को नहीं मानने पर सामाजिक बहिष्कार करते हुए हुक्का पानी बंद करने का ऐलान कर दिया। हालांकि सामाजिक फरमान के बाद मृतक के दूसरे बेटे विजय भगत ने परम्परा निवर्हन का फैसला लेते हुए न सिर्फ अपना बाल का मुंडन करवाया बल्कि मृत्युभोज करने का निर्णय लेते हुए पूरे समाज को भोज भी कराया।
वहीं इस फरमान का दो बेटों पर कोई असर नहीं पड़ा। उनलोगों ने समाज के खिलाफ अपने फैसले पर कायम रहते हुए किसी भी कर्मकांड को मानने से इनकार कर दिया। पूर्व के फैसले वे दोनों बेटे कायम रहे। मृतक के दोनों बेटों ने ना बाल मुंडवाया और ना ही भोज में शामिल हुए। दोनों बेटों के फैसले से आहत ग्रामीणों का स्पष्ट कहना था कि मृत्युभोज न करें पर क्रियाकर्म करना अनिवार्य था। इन दोनों भाईयों ने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए यह फैसला लिया और समाज के आदेश की बात नहीं मानी। समाज के आदेश का उल्लंघन करते सामाजिक परम्परा को तोड़ा है, जिसके कारण उन्हें समाज से बहिष्कार किया गया है।