DESK: जिस बाहुबली की ताकत सिर्फ मोकामा से लेकर बाढ़ तक के इलाके में दिखती थी. पटना में लोग जिससे खौफ खाते थे. आज उसकी गिरफ्तारी के बाद जगह-जगह प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं. फेसबुक से लेकर ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उसके पक्ष में लोगों को एक बड़ा समूह क्यों ताबड़तोड़ पोस्ट लिखे जा रहा है. कौन है वो जिसने ' छोटे सरकार' को कुछ ही लोगों के लिए सही हीरो बना दिया है.
कैसे हीरो बन गये छोटे सरकार
समाज का समझदार तबका ये सवाल पूछ रहा है. अनंत सिंह के समर्थन में तीन दिनों से पटना में प्रदर्शन हो रहा है. बेगूसराय में भी आज लोगों ने प्रदर्शन किया. वैसे जगहों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं जहां अनंत सिंह का कभी कोई प्रभाव नहीं रहा. अनंत सिंह की सियासी गतिविधि सिर्फ और सिर्फ मोकामा विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रही. सियासी तौर पर मोकामा विधानसभा क्षेत्र से बाहर झांकने की कभी अनंत सिंह ने कोशिश तक नहीं की. बात बाहुबल की करें तो उसमें भी अनंत सिंह की संलिप्तता पटना शहर तक ही सीमित रही. फिर सोशल मीडिया पर बिहार के लोगों का बड़ा तबका क्यों अनंत सिंह के पक्ष में मुहिम चला रहा है. यकीन न हो तो अनंत सिंह के मामले पर बोलने वाले जदयू के नेताओं के फेसबुक या ट्वीटर पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रिया पढ लें.
सरकार ने बना दिया माहौल
दरअसल सरकार ने जिस तरह से अनंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई की वह पहले दिन से ही सवालों के घेरे में आ गयी. अनंत सिंह पर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मुकदमा किया गया. जहानाबाद के बिट्टू कुमार ने हमारे दफ्तर में फोन कर कहा- ""यही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने आतंकवादी इशरत जहां को बिहार की बेटी कहा था. उनके लिए अनंत सिंह आतंकवादी हो गये?"" केंद्र सरकार ने UAPA कानून उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए बनाया है जो देश विरोधी गतिविधि में शामिल हैं. कानून में इसी महीने बेहद सख्त प्रावधान जोड़े गये हैं. उसके बाद देश में सबसे पहला प्रयोग अनंत सिंह के खिलाफ कर दिया गया.
पुलिस पर लगातार उठे सवाल
अनंत सिंह का प्रकरण जिस दौरान मीडिया की सुर्खियों में था उसी दौरान भागलपुर से कुख्यात विकास फरार हो गया. विकास ने रंगदारी नहीं देने के कारण दरभंगा में सरेआम दो इंजीनियरों को गोलियों से भून दिया था. इस घटना ने देश भर को स्तब्ध कर दिया था. कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनायी थी. फिर भी वो पुलिस गिरफ्त से फरार हो गया. ऐसे दुर्दांत अपराधी की फरारी के बाद भी पुलिस ने कोई विशेष टीम नहीं बनायी. लेकिन अनंत सिंह को काबू में लाने के लिए बिहार पुलिस ने दर्जनों टीम बना दी. SIT से लेकर आतंकवाद निरोधक दस्ता तक तैनात कर दिया. पुलिस की अति सक्रियता से लगातार सवाल उठते रहे.
ऐसी कार्रवाई कभी नहीं हुई
बिहार पुलिस सिर्फ अनंत सिंह को नहीं साध रही थी बल्कि उनके हर समर्थक को चुन चुन कर निपटाया जा रहा था. अनंत सिंह के समर्थक लल्लू मुखिया के घर की कुर्की जब्ती के लिए पुलिस की चुस्ती भी लोगों के लिए ये भी ऐतिहासिक वाकया था. बाढ़ कोर्ट ने जब लल्लू मुखिया के घर की कुर्की जब्ती का आदेश दिया तो पुलिस कोर्ट से ही सीधे घर कुर्क करने निकल गयी. बिहार में किसी दूसरे अपराधी के खिलाफ पुलिस की ये चुस्ती लोगों ने शायद ही देखी होगी. अनंत सिंह के दूसरे समर्थकों का भी ऐसा ही हश्र हुआ.
अनंत पर वार, दूसरे अपराधी खुले घूमते रहे
अनंत सिंह के समर्थन में मोर्चा खोल रहे लोगों का आरोप है कि पुलिस ने मोकामा से लेकर बाढ़ तक ढ़ेर सारे अपराधियों को खुली छूट दे दी है. पुलिस ने जिस भोला सिंह की हत्या की साजिश का आरोप अनंत सिंह पर लगाया वो इनामी मुजरिम रह चुका है. लोगों का आरोप है कि भोला सिंह अब बाढ़ पुलिस के साथ घूमता है. अनंत सिंह के कट्टर दुश्मन विवेका पहलवान को भी प्रशासन की खुली छूट मिली है.
अनंत से निकाली गयी सियासी दुश्मनी
अनंत सिंह समर्थकों का आरोप है कि सारी कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि अनंत सिंह ने लोकसभा चुनाव में सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने की हिमाकत की थी. चुनाव के दौरान ले ललन सिंह से लेकर नीरज कुमार का बयान खूब वायरल हो रहा है. लिहाजा लोगों के बीच ये धारणा बनी कि अनंत सिंह के खिलाफ हो रही सारी कार्रवाई सियासी दुश्मनी का परिणाम है. इस दरम्यान वो तस्वीरें और वीडियो भी वायरल होते रहे जो किसी दौर में अनंत सिंह और नीतीश कुमार के बीच के प्रगाढ़ संबंध को दर्शाती थी. अनंत सिंह को प्रणाम करते नीतीश. अनंत सिंह के हाथों सिक्कों से तौले जा रहे नीतीश. ऐसी तस्वीरों ने लोगों के बीच गलत मैसेज दिया.