Bihar News: CBI की विशेष अदालत में सृजन घोटाले का ट्रायल शुरू, पूर्व DM बीरेन्द्र यादव आरोप तय Bihar News: अब बिहार सरकार नहीं बनाएगी नेशनल हाईवे, निर्माण और मरम्मत का जिम्मा NHAI के हवाले Bihar News: बिहार-झारखंड के इन शहरों के बीच फिर होगा स्पेशल ट्रेन का परिचालन, यात्रियों के लिए बड़ी राहत Bihar News: पटना में युवक की आत्महत्या से मची सनसनी, जांच में जुटी पुलिस Bihar News: बिहार के 24 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी, बाढ़ का संकट और भी गहराया.. सहरसा में रुई के गोदाम में लगी भीषण आग, दमकल की 4 गाड़ियों ने पाया काबू अरवल में इनोवा कार से 481 लीटर अंग्रेज़ी शराब बरामद, पटना का तस्कर गिरफ्तार Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: बिहार में पेशी के दौरान कोर्ट कैंपस से कैदी फरार, पुलिस ने घर से दबोचा
21-Apr-2023 08:40 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के खिलाफ पटना हाईकोर्ट से वारंट जारी होने के बाद सरकार में हड़कंप मचा है. लिहाजा अब नया फरमान जारी कर दिया गया है. अब अगर मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना पड़ा तो छोटे अधिकारी नाप दिये जायेंगे. सरकार उन्हें निलंबित कर देगी.
शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश
बिहार सरकार का शिक्षा विभाग सबसे ज्यादा कानूनी पचड़े में फंसा हुआ विभाग है. लिहाजा कोर्ट की नाराजगी का सबसे ज्यादा डर इसी विभाग को सता रहा है. शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक बी. कार्तिकेय धनजी ने अपने विभाग के निचले अधिकारियों को पत्र जारी किया है. बिहार के सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भेजे गये पत्र में उन्हें कठोर चेतावनी दी गयी है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने अपने पत्र में लिखा है-अब अगर किसी निचले अधिकारी के कारण विभाग के अपर मुख्य सचिव या बिहार सरकार के मुख्य सचिव को हाईकोर्ट में हाजिर होना पड़ा तो इसके लिए जिम्मेवार अधिकारी को निलंबित कर दिया जाएगा. उनका न सिर्फ निलंबन होगा बल्कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी.
बता दें कि शिक्षा विभाग ने ये फरमान पटना हाईकोर्ट द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के खिलाफ वारंट जारी करने के बाद किया है. कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये जाने से नाराज पटना हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के खिलाफ गिरफ्तारी का जमानती वारंट जारी किया है. पटना हाईकोर्ट में डॉ. राकेश रंजन ने शिक्षा विभाग के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की थी. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को 5 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होकर केस से संबंधित सारे रिकार्ड और कागजात पेश करने को कहा था. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. इसके बाद याचिका दायर करने वाले के वकील ने कोर्ट से कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव कोर्ट के आदेश को भी नजरअंदाज कर रहे हैं. नाराज कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद हरकत में आये शिक्षा विभाग ने अपने सारे भी अधिकारियों को कोर्ट से संबंधित मामलों का हर हाल में समय पर सही तरीके से निष्पादन सुनिश्चित करने को कहा है. शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से भेजे गये पत्र में कहा है कि अगर कोर्ट से जुडे मामले में ढिलाई हुई तो इसे बेहद गंभीरता से लिया जायेगा. दरअसल, पिछले कुछ महीनों में शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों को कोर्ट में काफी फजीहत का सामना करना पडा है. पिछले दिनों ही शिक्षा विभाग के मामले में मुख्य सचिव की फजीहत हुई थी. वहीं विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ भी ऐसा ही वाकया हुआ था.
शिक्षा विभाग ने कोर्ट में हो रही अपनी फजीहत के कारणों की समीक्षा की तो पता चला कि क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्तर के कुछ अधिकारियों की गलती के कारण आलाधिकारियों को फजीहत झेलना पड़ रहा है. इसके बाद नाराज अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने पत्र जारी करने का निर्देश दिया. अब शिक्षा विभाग के निदेशक ने अपने पत्र में कहा है कि मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और निदेशक के स्तर से निचले अधिकारियों को बार-बार कानूनी मामलों का समय पर गंभीरता से निष्पादन करने का निर्देश दिया जाता रहा है. निचले अधिकारियों को हाईकोर्ट के मामले में समय पर कागजात जमा करने का भी निर्देश दिया जाता रहा है. लेकिन फिर भी ये पाया गया कि उनके स्तर पर सही तथ्य नहीं रखे गए और कई मामलों में देर भी की गयी. इसके कारण मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव को कोर्ट में पेश होना पड़ा. यह खेदजनक है और यदि भविष्य में उनकी गलती से ऐसा हुआ तो जिम्मेवार अधिकारी का निलंबन होगा. अलग से अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जायेगी.