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16-Aug-2022 08:14 PM
PATNA: बिहार में जब लालू प्रसाद यादव 15 सालों तक राज कर रहे थे तो कहा जाता था कि बैलेट बॉक्स से निकलने वाला “जिन्न” उन्हें कुर्सी पर बिठा देता है। बैलेट बॉक्स का ये जिन्न कोई और नहीं बल्कि अति पिछड़ा वर्ग के वोटर थे। 2005 में यही जिन्न लालू यादव से दूर हुआ तो नीतीश सीएम की कुर्सी से ऐसे चिपके जैसे फेवीकॉल से चिपका दिया गया हो। लेकिन 2022 में इसी जिन्न को सरकार में किनारे लगा दिया गया। 33 मंत्रियों वाली नयी नीतीश-तेजस्वी सरकार में अति पिछड़े तबके से सिर्फ 3 मंत्री बनाये गये। इस सरकार में 8 यादव और पांच मुसलमान मंत्री बनाये गये हैं।
*आधी हो गयी अति पिछड़ों की भागीदारी*
सबसे पहले ये बताते हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनायी थी तो अति पिछड़ों की क्या भागीदारी थी। एनडीए सरकार में डिप्टी सीएम का पद अतिपिछड़े वर्ग की महिला रेणु देवी के पास गया था। रेणु देवी नोनिया जाति से आती हैं। डिप्टी सीएम के साथ ही हलवाई जाति के प्रमोद कुमार, तेली जाति के नारायण प्रसाद, धानुक जाति की शीला मंडल, मल्लाह जाति के मदन सहनी और मुकेश सहनी भी एनडीए सरकार में मंत्री बने थे।
*यादवों की सरकार में अति पिछडे किनारे*
अब बात नीतीश कुमार औऱ तेजस्वी यादव की नयी सरकार में अति पिछड़ों की कर लें। हिन्दू अति पिछड़ी जाति के सिर्फ तीन मंत्रियों को कैबिनेट में जगह मिली है। जेडीयू ने मदन सहनी और शीला मंडल को मंत्री बनाया है। वहीं राजद ने सिर्फ अनीता देवी को मंत्री बनाया है। जो नोनिया जाति से आती हैं। खास बात ये है कि अति पिछड़े तबके से आने वाले मंत्रियों को बड़ा विभाग भी नहीं मिला है। मदन सहनी और शीला मंडल के पास तो पहले वाला ही विभाग कायम रह गया है लेकिन अनीता देवी को पिछड़ा और अति पिछड़ा कल्याण विभाग का मंत्री बनाया गया है। बिहार सरकार में ये विभाग सबसे महत्वहीन विभागों में से एक माना जाता है।
*निर्णायक हैं अति पिछड़े वोटर*
बता दें कि बिहार में अति पिछड़े वर्ग के वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। 117 जातियों वाले अति पिछड़े वर्ग की संख्या कितनी है इसका अलग अलग तौर पर आकलन किया जाता रहा है। लेकिन आम धारणा यही है कि बिहार के कुल वोटरों में अति पिछड़ों की संख्या करीब 25 प्रतिशत है। नीतीश-तेजस्वी की नयी सरकार में अति पिछड़ों की उपेक्षा का मुद्दा अभी से ही उठने लगा है। अति पिछड़ा कल्याण मंच के संयोजक रमेश चंद्रवंशी ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए कहा सूबे में सबसे बड़ा वोट बैंक अति पिछड़ों का है। इस सरकार में 8 यादव मंत्री बना दिये गये। मुसलमानों को 5 मंत्री पद दे दिया गया लेकिन अति पिछड़ों के लिए सिर्फ तीन पद मिले। आने वाले दिनों में इसका बड़ा असर होगा।