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नीतीश कुमार के खिलाफ सबूतों का पुलिंदा लेकर FIR कराने थाने पहुंच गये IAS सुधीर कुमार, थाने से लेकर सीएम हाउस तक हड़कंप

नीतीश कुमार के खिलाफ सबूतों का पुलिंदा लेकर FIR कराने थाने पहुंच गये IAS सुधीर कुमार, थाने से लेकर सीएम हाउस तक हड़कंप

17-Jul-2021 06:06 PM

PATNA : पटना के एससी-एसटी थाने में हुए ड्रामे ने आज पटना पुलिस से लेकर सीएम आवास तक को सकते में ला दिया. आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार 36 पन्ने का आवेदन औऱ उसके साथ सबूत का पुलिंदा लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार औऱ सूबे के दूसरे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने थाने में पहुंच गये. थानेदार ने आवेदन देखा तो उसके होश उड गये. सुधीर कुमार थाने में बैठे रहे औऱ थानेदार कागज लेकर गायब हो गये. कई घंटे के ड्रामे के बाद सुधीर कुमार को आवेदन की रिसीविंग देकर वापस भेज दिया गया. हम आपको बता दें कि ये वही सुधीर कुमार हैं जिन्हें कर्मचारी चयन घोटाले में आरोपी बनाकर जेल भेजा गया था, फिलहाल जमानत पर रिहा होकर राजस्व पर्षद के सदस्य हैं.


SC-ST थाने में ड्रामा
सुघीर कुमार शनिवार की दोपहर पटना के एससी-एसटी थाने में पहुंच गये. थाने में मौजूद थानेदार को उन्होंने 36 पेज का आवेदन सौंपा और कहा कि एफआईआर करें. थानेदार ने आवेदन पढ़ा तो उनका दिमाग घूम गया. सुधीर कुमार थाने में बैठे रहे और थानेदार वहां से निकल गये. सूत्रों ने बताया कि वे आवेदन लेकर बड़े अधिकारियों के पास चले गये थे. सूत्रों के मुताबिक आईएएस सुधीर कुमार के आवेदन में मुख्यमंत्री समेत कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाये गये थे. सुधीर कुमार मुख्यमंत्री समेत दूसरे अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं. 


थानेदार उनका आवेदन लेकर थाने से निकल गये लेकिन सुधीर कुमार वहीं बैठे रहे. दो घंटे तक वे थाने में बैठ कर इंतजार करते रहे. इस बीच मीडिया को मामले की खबर मिली तो मीडियाकर्मी थाने पहुंच गये. मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया तो पटना के दो दूसरे थानों के थानेदारों को एससी-एसटी थाने में भेजा गया. सुधीर कुमार को कहा गया कि वे घर जायें उनके आवेदन पर कार्रवाई होगी. लेकिन सुधीर कुमार एफआईआर होने पर ही थाने से जाने की जिद पर अड़े थे. दो घंटे बाद एससी-एसटी थाने के थानेदार वापस वहां पहुंचे. उन्होंने सुधीर कुमार के आवेदन की एक कॉपी पर थाने की रिसीविंग दी. मुहर औऱ हस्ताक्षर के साथ उन्हें रिसीविंग दी गयी और तब सुधीर कुमार थाने से जाने को तैयार हुए.


नीतीश पर केस करना चाहते हैं सुधीर कुमार
एससी-एसटी थाने से निकले सुधीर कुमार से मीडिया ने पूछा कि आखिरकार वे किस पर और क्यों एफआईआर करना चाहते हैं. सुधीर कुमार ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. मीडिया ने जब बहुत कुरेदा तो वे बोले कि जालसाजी का केस करना चाह रहे हैं.  उनसे पूछा गया कि आखिरकार जालसाजी किसने की है. कई बार सवाल पूछने पर सुधीर कुमार ने कहा कि मामला मुख्यमंत्री के खिलाफ है.


चार महीने से थाने का चक्कर लगा रहे हैं
सुधीर कुमार ने कहा कि उन्होंने पिछले 5 मार्च को ही पटना के शास्त्रीनगर थाने में नीतीश कुमार के खिलाफ एफआईआर करने के लिए आवेदन दिया था. जब वे थाने में आवेदन दे रहे थे तो वहां पटना के एसएसपी औऱ डीएसपी मौजूद थे. उन्हें रिसीविंग दे दी गयी लेकिन एफआईआर नहीं दर्ज किया गया. सुधीर कुमार ने कहा कि उन्होंने पटना के एसएसपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी कि उनके आवेदन पर क्या कार्रवाई हुई. कोई जवाब नहीं आया. आऱटीआई से भी जानकारी मांगी गयी लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे में वे फिर से एससी-एसटी थाने में एफआईआर कराने आये हैं. यहां भी एफआईआर दर्ज करने के बजाय आवेदन की रिसीविंग दी जा रही है.


उधर एससी-एसटी थाने के थानेदार ने बताया कि सुधीर कुमार ने जो आवेदन दिया है उसे रिसीव कर लिया गया है. 36 पेज का आवेदन दिया गया है. उसका अध्ययन किया जा रहा है. उसके बाद जो भी विधि सम्मत कार्रवाई होगी वह की जायेगी. थानेदार ने भी ये बताने से इंकार कर दिया कि आखिरकार आवेदन में लिखा क्या गया है. 


सूत्र बता रहे हैं कि सुधीर कुमार ने अपने आवेदन में नीतीश कुमार के खिलाफ कई तथ्य दिये हैं. उन्होंने नीतीश कुमार औऱ सरकार के कई अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आऱोप लगाये हैं. सुधीर कुमार कह रहे हैं कि वे जो आऱोप लगा रहे हैं उसका सबूत भी दे रहे हैं. 


कौन हैं सुधीर कुमार
साढे चार साल पहले यानि 2017 में बिहार में कर्मचारी चयन आयोग घोटाला हुआ था. कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा होने से पहले प्रश्न पत्र लीक हो गया था. इस मामले की जांच हुई तो आय़ोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार दोषी पाये गये. आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार को 24 फरवरी 2017 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उसके बाद उन्हें सस्पेंड भी कर दिया गया था. साढ़े तीन साल तक जेल में रहने के बाद पिछले साल 7 अक्टूबर को वह जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आए थे. जमानत मिलने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबन मुक्त कर राजस्व पर्षद का सदस्य बनाया था.